जर्मनी पहुंचे सीरिया के शरणार्थी
१२ सितम्बर २०१३सीरिया में पिछले दो ढाई साल से हालात खराब हैं. एक तरफ राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना तो दूसरी तरफ विरोधी. इस लड़ाई में नुकसान हो रहा है आम देशवासियों का. अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़ कर जा चुके हैं. इनमें से कुछ लोगों को अब जर्मनी में भी पनाह मिलेगी.
सीरिया में चल रहे तनाव को देखते हुए इस साल मार्च में जर्मनी के गृह मंत्री हंस-पेटर फ्रीडरिष ने घोषणा की थी कि जर्मनी जल्द से जल्द 5,000 सीरियाई शरणार्थियों को पनाह देगा. इसी के तहत कुछ लोगों को जर्मनी लाया जा चुका है.
कौन कौन आएगा जर्मनी?
सीरिया से किन लोगों को जर्मनी आने की अनुमति होगी इस बात पर भी बहुत ध्यान दिया गया है. गृह मंत्रालय प्रवक्ता के अनुसार सरकार ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था यूएनएचआरसी के साथ मिल कर इसे तय किया है. ये 5,000 लोग वे हैं, जो सीमा पार कर लेबनान चले गए थे. पड़ोसी मुल्क लेबनान में काम कर रहे सहायता संगठनों के अनुसार वहां सात लाख से ज्यादा सीरियाई शरणार्थी हैं. जर्मनी में यूएनएचआरसी के प्रवक्ता श्टेफान टेलोएकेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि अब लेबनान में शरणार्थियों की जानकारी के आधार पर उनसे पूछा जा रहा है कि क्या वे जर्मनी जाने के लिए तैयार हैं.
तीन वर्गों के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी - अनाथों को, गंभीर रूप से घायलों को और ऐसी महिलाओं को जो अपने बच्चों को अकेले पाल रही हैं. इनके अलावा जो लोग जर्मनी से किसी भी तरह से जुड़े हुए हैं उन्हें भी प्राथमिकता दी जाएगी. लोगों से पूछा जा रहा है कि क्या उनका कोई रिश्तेदार जर्मनी में रहता है या क्या उन्हें जर्मन भाषा का थोड़ा भी ज्ञान है. उन कुशल कामगारों पर भी ध्यान दिया जा रहा है जो विवाद खत्म होने पर देश के पुनर्निर्माण में मददगार साबित हो सकेंगे.
इस आधार पर चुने गए लोगों को दो साल के लिए जर्मनी में रहने की अनुमति दी जाएगी. यूएनएचआरसी के टेलोएकेन ने बताया कि इन लोगों को राजनीतिक शरणार्थी नहीं कहा जाएगा, "यह कोई पुनर्वास कार्यक्रम नहीं है." इसका मतलब यह हुआ कि हालात ठीक हो जाने पर इन्हें अपने देश लौटना होगा.
शुरुआती ट्रेनिंग
ये 5,000 लोग पहले दो हफ्तों तक जर्मनी के लोवर सैक्सनी प्रांत के फ्रीडलैंड और ब्रेम्शे शहरों में रहेंगे. यहां उन्हें जर्मनी की जीवनशैली के लिए तैयार किया जाएगा. फ्रीडलैंड शरणार्थी कैम्प के प्रमुख हाइनरिष होएर्नशेमायर ने बताया कि उन्हें एक हफ्ते का ट्रेनिंग कोर्स कराया जाएगा. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "दोपहर में लोगों को जर्मन भाषा सिखाने की कोशिश की जाएगी. एक हफ्ते बाद जब कोर्स पूरा होगा तब लोगों को जर्मन में अपना परिचय देना और रास्ते पूछना आ जाना चाहिए. शाम को उन्हें जर्मनी के बारे में जानकारी दी जाएगी". लोगों को जर्मनी के इतिहास का ज्ञान दिया जाएगा और यहां के स्कूलों के बारे में भी समझाया जाएगा. साथ ही अधिकारियों से बात करना भी इस कोर्स का हिस्सा है.
होएर्नशेमायर का कहना है कि ये लोग ऐसे हालात से निकल कर आ रहे हैं जिनकी तुलना जर्मनी के जीवन से नहीं की जा सकती. इसलिए फ्रीडलैंड में होने वाली ट्रेनिंग का मकसद जर्मनी में बीतने वाले उनके समय को आसान बनाना है.
14 दिन बाद इन लोगों को अलग अलग राज्यों में रहने भेज दिया जाएगा. इन लोगों को बांट कर जर्मनी के सभी 16 राज्यों में भेजा जाएगा. किस राज्य में कितने लोग रहेंगे, यह वहां की जनसंख्या और राजस्व पर निर्भर करेगा. इस हिसाब से अधिकतर शरणार्थियों को जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में भेजा जाएगा. 1,060 लोगों के लिए यहां अस्थायी आशियाने तैयार किए जा चुके हैं. राज्य ने कहा है कि वह और 1,000 शरणार्थियों को रखने की स्थिति में है. संभावना है कि जर्मनी के सबसे छोटे राज्य ब्रेमन में केवल 50 लोगों को ही शरण मिल पाएगी.
हालांकि जर्मनी में शरणार्थियों की मदद करने वाले एक गैरसरकारी संस्थान प्रो आज्यूल का कहना है कि सीरिया के हालात देखते हुए 5,000 बहुत बड़ी संख्या नहीं है. साथ ही सरकार पर ये आरोप भी लगाए हैं कि जिस तरह से लेबनान से लोगों को लाया जा रहा है उसमें उन्हें खतरा हो सकता है.
रिपोर्टः कार्ला ब्लाइकर/आईबी
संपादनः ए जमाल