जर्मनी में बच्चों के साथ यौन अपराध के मामले बढ़े
१२ मई २०२०जर्मनी की पुलिस द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 2019 में हुए बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है.आंकड़ों के मुताबिक 2019 में बच्चों और नाबालिगों के साथ यौन अपराध के 15,936 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. 2018 में ये संख्या 14,606 थी. इसके साथ ही चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के 12,262 मामले 2019 में सामने आए हैं. ये संख्या पिछले साल की तुलना में बहुत बड़ी है और 2016 की तुलना में तो लगभग दोगुनी हो गई है.
शोषण के मामलों के फेडरल कमिश्नर योहानेस विलहेल्म रोएरिष ने कहा कि यौन हिंसा भी एक तरह की महामारी है और ये एक बड़े पैमाने पर फैली महामारी है. उन्होंने बताया कि बच्चों के यौन शोषण के करीब एक चौथाई मामलों में अपराधी उनके परिवार का ही कोई ना कोई व्यक्ति होता है. बच्चों के यौन शोषण के कई मामले तो इसलिए ही रिपोर्ट नहीं हो पाते क्योंकि ऐसा करने वाला परिवार का ही कोई व्यक्ति होता है. ऐसे में कई बार पारिवारिक कारणों से शिकायत दर्ज नहीं होती है.
आगे भी बढ़ सकती है संख्या
जर्मनी की केंद्रीय पुलिस के प्रमुख होल्गर मुइंच ने आशंका जताई है कि ये आंकड़े 2019 के हैं इसलिए इनमें कोरोना वायरस से लगी पाबंदियों के लदौरान होने वाले अपराध के मामले नहीं हैं. जानकारों का मानना है कि स्कूलों के बंद होने की वजह से बच्चों को अपने माता-पिता या अभिभावकों के साथ ज्यादा समय बिताना पड़ा है. इसके चलते घरों में बच्चों के साथ होने वाली हिंसा और यौन शोषण के मामलों में बढ़ोत्तरी की आशंका है.
होल्गर मुइंच का मानना है कि इन मामलों की असल संख्या आंकड़ों में दिख रही संख्या से बहुत अधिक हो सकती है. उन्होंने कहा, "ये एक बड़ी संख्या है लेकिन असल मामलों की संख्या इससे भी बहुत ज्यादा हो सकती है. रिपोर्ट नहीं किए गए मामलों की संख्या भी बहुत ज्यादा है. हम अभी ये नहीं बता सकते कि आने वाले समय में कोरोना वायरस से लगी पाबंदियों के चलते ये संख्या और भी बढ़ सकती है."
बच्चों की हत्या में कमी
2019 में जर्मनी में 14 साल की उम्र से कम उम्र के बच्चों की हत्या के मामलों में कमी आई है. 2018 में ये संख्या 136 थी जो 2019 में कम होकर 112 हो गई है. इनमें से अधिकतर हत्याएं छह साल से कम उम्र के बच्चों की हुईं. इनमें से अधिकतर मौतें लापरवाही के कारण हुईं हत्याएं हैं. पुलिस ने अपराधियों के बारे में भी जानकारी साझा की है. बच्चों के साथ शोषण के मामलों में 90 प्रतिशत अपराधी पुरुष थे और 75 प्रतिशत पीड़ित महिलाएं थीं. पुलिस ने बताया कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के मामलों में अधिकतर अपराधी भी नाबालिग हैं. इन्होंने बच्चों के साथ यौन अपराध कर उसके फोटो और वीडियो इंटरनेट पर अपलोड कर दिए. पुलिस का कहना है कि ये टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल है.
भारत में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों की संख्या लाखों में है लेकिन ऐसे मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं. 2018 में एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रतिदिन 109 मामले पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज किए गए. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में रिपोर्ट ना होने वाले केसों की संख्या बहुत ज्यादा हो सकती है. 2012 के बाद सरकार ने बच्चों के साथ यौन हिंसा के मामलों के लिए पॉस्को एक्ट बनाया है. हालांकि नए एक्ट के बाद भी मामलों की संख्या में कमी नहीं आई है.
आरएस/एमजे (डीपीए, केएनए)
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