जर्मनी में 'सबसे बड़ा डार्कनेट बाजार' बंद
१३ जनवरी २०२१डार्कनेट पर इस अवैध ऑनलाइन बाजार में नकली मुद्रा, ड्रग्स और इसी तरह की चीजें खरीदी बेची जा रही थीं. जर्मनी के कोबलेंज और ओल्डेनबुर्ग शहर के अभियोजकों का कहना है कि उन्होंने "संभवतः डार्कनेट पर सबसे बड़े अवैध बाजार" को बंद करा दिया है. इसे डार्क मार्केट कहा जाता है. इसके साथ ही एक आदमी को गिरफ्तार किया गया है जो जर्मनी की डेनमार्क से लगती सीमा के पास से इस बाजार को चला रहा था. हिरासत में लिए जिस शख्स को बाजार का ऑपरेटर कहा जा रहा है उसकी उम्र 34 साल है और वह ऑस्ट्रेलिया का नागरिक है.
अधिकारियों का कहना है कि ड्रग्स, नकली मुद्रा, चोरी के क्रेडिट कार्ड का डाटा, अज्ञात लोगों के नाम पर जारी सिमकार्ड जैसी चीजें इस साइट पर खरीदी और बेची जाती हैं. माना जाता है कि इसका इस्तेमाल 5 लाख से ज्यादा लोग करते हैं. आमतौर पर यह व्यापार क्रिप्टोकरेंसी से होता है. यह अवैध कारोबार करीब 14 करोड़ यूरो का बताया जा रहा है.
ओल्डेनबुर्ग पुलिस का कहना है कि सप्ताहांत में छापा मारा गया था. अभियोजकों के मुताबिक, "सोमवार को जांचकर्ता बाजार को बंद कराने और सर्वर को बंद करने में सफल हुए."
अंतरराष्ट्रीय जांच
यह पहली बार नहीं है जब डार्क मार्केट को जर्मनी में बंद कराया गया है. जर्मनी में यह अवैध बाजार पिछले कई सालों से चल रहा है. 2019 में कोब्लेंज के अभियोजकों ने ही घोषणा की थी कि एक नाटो के पुराने बंकर से डार्केनेट सर्वर चल रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि करीब एक महीने तक अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों के अभियान के बाद इस डार्क मार्केट का पता चल सका है. इस काम में अमेरिकी एजेंसी एफबीआई, डीईए नार्कोटिक्स लॉ इनफोर्समेंट डिविजन और आईआरएस टैक्स अथॉरिटी, इन सब ने इस जांच में हिस्सा लिया. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन, मोल्डोवा और यूरोपोल ने भी इस अभियान में मदद की.
ओल्डेनबुर्ग के अधिकारियों ने बताया है, "इस बाजार के जरिए कम से कम 320,000 लेनदेन हुए हैं जिनमें 4650 बिटकॉइन और 12,800 मोनेरो के जरिए भुगतान हुआ." बिटकॉइन और मोनेरो सबसे प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी हैं.
बाजार को बंद करते समय इस डार्क मार्केट में 2,400 से ज्यादा वेंडर और 500,000 से ज्यादा यूजर थे.
डार्कनेट बाजार ई कॉमर्स की वेबसाइटें हैं जिन तक आम सर्च इंजन के जरिए नहीं पहुंचा जा सकता. आप इन्हें अवैध बाजार की तरह समझ सकते हैं. ये बाजार अपराधियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं क्योंकि इनमें खरीदने और बेचने वाले की पहचान जाहिर नहीं होती. भुगतान भी ऐसी मुद्रा में की जाती है जिससे कि यह दुनिया और सरकारों की नजर में नहीं आए.
एनआर/आईबी (एएफपी, डीपीए)
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