जलवायु परिवर्तन ने यूरोप का चेहरा बिगाड़ा
२२ जुलाई २०१०यूरोप के ठंडे देश हॉलैंड की राजधानी एम्सटर्डम में मच्छर पैदा होने लगे हैं. यह पहला मौका है जब हॉलैंड में मच्छर देखे जा रहे हैं. जलवायु परिवर्तन से जुड़े वैज्ञानिक इसे क्लाइमेट चेंज का ठोस संकेत बता रहे हैं. जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, यूक्रेन और नॉर्वे जैसे देशों में भी गर्मी का प्रकोप जारी है. गर्म देशों में होने वाले कीड़े मकोड़ों की यूरोपीय देशों को आदत नहीं है.
रूस में हालात और बुरे हैं. देश के ज्यादातर हिस्सों में पारा लगातार 35 डिग्री के ऊपर बना हुआ है. मौसम विभाग का कहना है कि जुलाई के अंत तक तापमान ऐसा ही बना रहेगा. कभी 36 डिग्री तो कभी 39 डिग्री.
इस बीच रूस की कृषि मंत्री येलेना स्क्रीनिक ने कहा है कि अगर ऐसी ही गर्मी पड़ी तो देश की फसल का एक बड़ा हिस्सा सूख जाएगा. अब तक दस लाख हेक्टेयर जमीन पर उगी फसल बर्बाद हो चुकी है. गर्मी की वजह से 83 में से 23 प्रांतों में इमरजेंसी लगा दी गई है.
रूस में अब तक गर्मी की वजह से 1200 लोग डूब कर मर चुके हैं. यह लोग शरीर ठंडा करने के लिए नदी, तालाब या संमदर में गोते लगाने गए और वहीं दम तोड़ बैठे. हालांकि मृतकों में ज्यादातर नशे की हालत में पाए गए, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मामलों में गर्मी की वजह से लोगों की मौत हुई.
वैसे यह भी सच है कि फिलहाल हर कोई गर्मी पर चीख रहा है. इस ओर अभी किसी का ध्यान नहीं गया है कि इस साल के मौसम की वजह से दुनिया भर में खाद्यान प्रणाली को गहरी चोट पहुंच चुकी है. बाढ़ से लड़ रहे चीन और रोमानिया में करोड़ों टन गेहूं बर्बाद हो चुका है. दक्षिण अमेरिकी देशों में कड़ाके की सर्दी की वजह से नई फसल की पौध खड़ी ही नहीं हो पा रही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादनः आभा एम