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"जल्दी नहीं होगी डीएम की रिहाई"

२० फ़रवरी २०११

उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के कलेक्टर को माओवादियों से छुड़ाने के लिए बातचीत कर रहे मध्यस्थों ने कहा है कि इस काम में कुछ वक्त और लगेगा. रविवार को माओवादियों और मध्यस्थों के बीच बातचीत शुरू हो गई है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पहले दौर की बातचीत के बाद प्रोफेसर हरगोपाल ने कहा कि इस संकट को हल करने के लिए उपाय तलाशे जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "प्रक्रिया अभी शुरू हुई है. हम संकट हल करने के तौर तरीकों पर बात कर रहे हैं ताकि आरवी कृष्णा और जूनियर इंजीनियर माझी की रिहाई हो सके. लेकिन इसमें कुछ वक्त लगेगा."

इस बीच उड़ीसा सरकार ने संकेत दिए हैं कि कुछ नक्सवादियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. माओवादियों ने 2005 बैच के आईएएस अफसर 30 साल के कृष्णा और एक जूनियर इंजीनियर पबित्रा माझी को 16 फरवरी को चित्रकोंडा गांव से अगवा कर लिया था. उनकी रिहाई के बदले माओवादी अपने साथियों को छोड़ने की मांग कर रहे हैं.

माओवादियों की मांग पर

माओवादियों ने मध्यस्थता के लिए आंध्रप्रदेश के प्रोफेसर हरगोपाल और प्रोफेसर सोमेश्वर राव को चुना है. पहले दौर की बातचीत के बाद प्रोफेसर राव ने कहा, "हम चर्चा कर रहे हैं. अभी इस बात पर फैसला होना है कि बातचीत की प्रक्रिया के तहत कुछ लोगों को मलकानगिरी भेजा जाए या नहीं." समस्या यह है कि दोनों मध्यस्थ स्वास्थ्य कारणों से मलकानगिरी नहीं जा सकते.

उड़ीसा के गृह सचिव यूएन बेहरा और पंचायती राज सचिव एसएन त्रिपाठी सरकार की तरफ से बातचीत कर रहे हैं. बेहरा ने बताया है कि अगवा किए गए दोनों अफसर सुरक्षित हैं.

सूत्रों का कहना है कि सरकार माओवादियों की मांगें मानकर विभिन्न जेलों में बंद कुछ माओवादियों को रिहा करने पर विचार कर रही है. माना जाता है कि इसके लिए मध्यस्थों ने ही दबाव बनाया है. उनका कहना है कि गांती प्रसादम जैसे बड़े नक्सली नेताओं को जमानत पर रिहा किया जा सकता है. बातचीत शुरू होने से पहले ही प्रोफेसर हरगोपाल ने कहा था कि जेल से रिहा किए जाने पर बड़े नक्सली नेता अगवा किए गए अफसरों की रिहाई में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस बीच आंध्र प्रदेश की जेल में बंद प्रसादम को उड़ीसा पुलिस को सौंप दिया गया है जहां उनकी अदालत में पेशी होनी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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