जी8 के शेरपा कौन
१७ जून २०१३रूस और पश्चिमी देशों के बीच सीरिया के मुद्दे पर गंभीर मतभेदों के साथ लो एर्न गोल्फ रिसॉर्ट में शिखरवार्ता शुरू होने जा रही है. ये मतभेद रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के बीच रविवार को लंदन में हुई बातचीत के दौरान सामने आया. पुतिन ने रुसी नीति की पैरवी करने के लिए संवाददाता सम्मेलन का सहारा लिया. उन्होंने साफ किया कि वह सीरियाई सरकार को हथियार देता रहेगा, "हम सीरिया की कानूनी सरकार को हथियार दे रहे हैं. ऐसा करते समय हम कोई नियम कानून नहीं तोड़ रहे और हम अपने साथियों से अपील करते हैं कि वह भी ऐसा ही करें."
कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने घोषणा की थी कि वो सीरिया के विद्रोहियों को हथियार देगा. अमेरिका की दलील है कि असद ने विद्रोहियों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था. उधर यूरोपीय संघ के नेता सीरिया को हथियारों पर प्रतिबंध की समय सीमा आगे नहीं बढ़ा पाए हैं. इसका मतलब है कि अगस्त तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश विद्रोहियों को हथियार भेज सकते हैं. इस मुद्दे पर ईयू की कोई नीति नहीं है.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन दो दिन की इस शिखरवार्ता का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच आर्थिक जानकारियों की लेन देन के लिए करना चाहते हैं ताकि कर चोरी की समस्या से निबटा जा सके. जी8 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा और रूस शामिल हैं.
जी8 के शेरपा
शिखर वार्ता में चेहरा तो राष्ट्राध्यक्षों का होता है लेकिन इनके लिए तैयारी करने, लड़ने, बहस करने वाले लोग और होते हैं. चूंकि वह शिखर वार्ता का सारा बोझ उठाते हैं इसलिए उन्हें शेरपा कहा जाता है. 17.06.2013 को उत्तरी आयरलैंड के लो में जब शिखर वार्ता शुरू होगी तो शुरुआती तैयारी से लेकर फाइनल स्टेटमेंट तक सब तैयार होगा. हालांकि बहुत संभव है कि दो दिन में हालात बिलकुल बदल जाएं. और आठ राष्ट्राध्यक्षों के शेरपाओं को फिर रात रात भर जाग कर ये क्लोजिंग स्टेटमेंट तैयार करने पड़ें. इन आठ शेरपाओं ने कई बैठकों में अपने वर्किंग ग्रुप के साथ कई महीनों तक जी8 के मुद्दों पर काम किया जो जी8 अध्यक्ष ने बताया था.
किसका शेरपा कौन
चांसलर अंगेला मैर्केल अपना बोझ लार्स हेंड्रिक रोएलर के कंधों पर डाल सकती हैं. पिछले दो साल से अर्थशास्त्री और कंप्यूटर वैज्ञानिक जी8 में मैर्केल का दाहिना हाथ बने हुए हैं. वो जी20 देशों की बैठक में भी मैर्केल के साथ होते हैं. शर्मिले रोएलर राजनीति में पिछले दरवाजे से आए हैं और साफ कहें तो एक निजी बिजनेस स्कूल से. 54 साल के रोएलर अब चांसलर के दफ्तर का आर्थिक और वित्तीय विभाग संभालते हैं और इसलिए सीधे चांसलर से जुड़े हुए हैं. ये शेरपा कभी सार्वजनिक टिप्पणियां या उपस्थिति दर्ज नहीं करते. इसलिए डॉयचे वेले को इस बारे में जानकारी देने वाले अपना नाम नहीं बताना चाहते. शेरपा की भूमिका के लिए राजदारी, ईमानदारी अहम है. वे आपस में कड़ी बहस करते हैं. जो शेरपा आर्थिक मुद्दों पर बहस करते हैं अक्सर वो अपने बॉस से भी ज्यादा कड़े होते हैं.
जी8 की कार्यशैली से जुड़े राजनयिक बताते हैं, "सम्मेलन के दौरान आखिरी में समझौते के लिए बहुत कम जगह होनी चाहिए. सबके राष्ट्रीय लाभ और देश से जुड़े मुद्दे होते हैं."
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इस साल की शिखर वार्ता के अध्यक्ष हैं. उन्होंने व्यापार, पारदर्शिता और टैक्स चोरी का केंद्र बन रहे देशों के मुद्दों पर जोर दिया है. अभी पता नहीं है कि अगले साल के अध्यक्ष रूस और उसके बाद जर्मनी का क्या एजेंडा होगा.
पर्दे के पीछे
बैठक के दौरान ये शेरपा अपने बॉस के पीछे बैठते हैं. रोएलर के हाथ में कागजों का बंडल होता है. जरूरत पड़ने पर ये चांसलर के कान में कुछ तथ्य फुसफुसा सकते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा शेरपा माइकल फ्रोमैन पर पूरा भरोसा रखते हैं. मई की शुरुआत में ओबामा ने फ्रोमैन को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि बनाया. ओबामा कहते हैं, "हमने एक साथ कानून की पढ़ाई की. वह मुझसे तब भी कहीं ज्यादा स्मार्ट थे और आज भी हैं. पिछले चार साल में सभी ग्लोबल फोरम में वह मेरे लिए अहम रहे हैं. वह मेरा मुख्य संपर्क सूत्र रहे. बड़े काम वाले इन अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ताओं के आयोजन में वो मुख्य ड्राइविंग फोर्स रहे हैं." हालांकि सभी शेरपा अपने मालिक के साथ रहे ही ये जरूरी नहीं. कनाडा के शेरपा को वार्ता के ठीक पहले बदल दिया गया तो जापान के शेरपा अब विदेश मंत्रालय में हैं.
जर्मनी में रोएलर से पहले जर्मन सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष येन्स वाइडमन मैर्केल के शेरपा थे. जबकि जी20 के लिए उनके साथ यूरोपीय सेंट्रल बैंक के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर के योर्ग आसमुसेन जाते थे. सत्ताधारी लोग याद रखते हैं कि कौन किसका शेरपा था.
जी8 बंजारा सर्कस की तरह है. इसका कोई तय स्टाफ नहीं होता. अलग अलग देश हर बार अध्यक्ष होते हैं. मतलब हर साल अलग अलग शेरपा सम्मेलन का आयोजन करते हैं. जी8 की अनौपचारिक बैठक 1975 में शुरू हुई थी. इसे फ्रांस के तात्कालीन राष्ट्रपति वेलेरी जिस्कार देस्तां और जर्मनी के चांसलर हेल्मुट श्मिट ने आर्थिक मामलों पर अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जापान से बातचीत करने के लिए शुरू की थी. कनाडा 1976 में इससे जुड़ा और 1998 में रूस को आमंत्रित किया गया. इस तरह जी8 बना. उस समय ये बैठकें इतनी भारी भरकम नहीं होती थी.
राजनीति विज्ञानी और जी8 वार्ता के विशेषज्ञ हांस माउल कहते हैं कि चीन, भारत और ब्राजील वाला जी20 ग्रुप अहम हो गया है. वो कहते हैं कि सवाल इस बात का है कि जी8 को जी20 से बदला जाए या नहीं. हालांकि जी8 देशों की बैठक में जी20 शिखर वार्ता का एजेंडा तैयार किया जाता है. वैसे भी यह इकलौता ऐसा फोरम है जहां राष्ट्राध्यक्ष जनता की नजरों से दूर एक दूसरे से लड़ सकते हैं.
रिपोर्टः रीगर्ट बैर्न्ड/आभा मोंढे (रॉयटर्स, डीपीए)
संपादनः एन रंजन