ट्विटर, फेसबुक पर भी छाया अयोध्या
१ अक्टूबर २०१०सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट का इस्तेमाल करने वाले लोगों का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले में न तो किसी की जीत हुई है और न किसी की हार. ट्विटर पर भेजे गए संदेशों में सबसे ज्यादा जोर शांति और संयम बनाए रखने पर दिया गया और लोगों का मानना है कि इस फैसले के जरिए सभी पक्षों को खुश करने का प्रयास किया गया है.
अपनी राय व्यक्त करने के लिए ब्लॉग का सहारा लेने वाले इंटरनेट प्रेमियों का मानना है यह फैसला भारत में धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने की परीक्षा है. एक ब्लॉग में लिखा गया, "हमें मंदिर या मस्जिद नहीं बल्कि शांति चाहिए और फैलसे का सम्मान किया जाना चाहिए." एक अन्य ब्लॉग के मुताबिक देश में सभी को संयमित रहने की जरूरत है और एकता ही देश की सबसे बड़ी ताकत है. हिंदू, मुस्लिम, ईसाई भाईचारे को बढ़ावा मिलना चाहिए.
एक ट्विटर संदेश में कहा गया कि अदालत ने अपने कूटनीतिक फैसले के जरिए सभी पक्षों को खुश करने की कोशिश की है. हर एक को शांति कायम रखने में सहयोग देना चाहिए क्योंकि मानवता ही एकमात्र धर्म है. राजनीतिक दलों से अपील की गई है कि उन्हें इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि किसी भी धर्म का आम आदमी इस फैसले को स्वीकार कर लेगा.
एक संदेश में लोगों को याद दिलाया गया है कि सभी भारतीय हैं और इसे नहीं भूला जाना चाहिए. हिंसा से दूर रहें, सुरक्षित रहें और अन्य लोगों का भी ख्याल रखें. एक व्यक्ति ने सुझाव दिया है कि विवादास्पद जमीन पर मंदिर और मस्जिद बनाई जानी चाहिए. जिस तरह से देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, उसी परंपरा को अयोध्या में भी कायम रखा जाना चाहिए.
इंटरनेट पर हिंदू और मुस्लिम समुदाय से अतीत को भूल कर नई दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की गई है. दोनों समुदाय से आग्रह किया गया है कि मंदिर और मस्जिद बनाने में एक दूसरे की मदद की जानी चाहिए. जोर इस बात पर है कि इस फैसले में न तो किसी की जीत हुई है और न किसी की हार. असंतुष्ट पक्ष को सुप्रीम कोर्ट में जाने की सलाह तो है लेकिन शांति और संयम बनाए रखने की अपील भी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल