1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

कोरोनाः नस्लीय टिप्पणी पर डब्ल्यूएचओ नाराज

आमिर अंसारी
७ अप्रैल २०२०

दुनिया के 200 से अधिक देशों में कोरोना से महामारी फैली हुई है. अब तक 13 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 75 हजार लोगों की मौत हो गई है. लेकिन कुछ लोग इसके बहाने एक धर्म या नस्ल विशेष को निशाना बनाने की कोशिश में हैं.

https://p.dw.com/p/3aaS8
Global Ideas Indien Coronavirus Lockdown in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक माइकल रेयान ने कहा है कि कोरोना वायरस के मरीजों का धर्म, नस्ल या मत के आधार पर वर्गीकरण नहीं किया जाना चाहिए. पिछले दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों को निकालकर क्वारंटीन में भेजा गया था. तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए और उनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है. जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ लोगों की कोरोना संक्रमण के कारण अपने गृह राज्यों में लौटने के बाद मौत भी हो गई थी. देश के अधिकांश टीवी न्यूज चैनलों में बहस छिड़ गई थी कि क्या जो हालात बिगड़े हैं उसके लिए जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोग जिम्मेदार हैं? जमात में शामिल होने वाले लोगों पर लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने का आरोप लगा था. दिल्ली पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने निजामुद्दीन स्थित जमात के मुख्यालय 'मरकज' से करीब 2,000 से अधिक लोगों को निकाला था और टेस्ट के बाद उन्हें क्वारंटीन में भेजा था.

उसके बाद भारत में कोरोना वायरस को लेकर एक विशेष समुदाय के खिलाफ आधी-अधूरी या फिर फर्जी खबरें फैलाकर उन्हें इस महामारी के फैलने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया.

Coronavirus Indien
तब्लीगी जमात के लोगों पर लॉकडाउन नियम के उल्लंघन के आरोप लगे.तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/R. Shukla

विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक माइकल रेयान ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, "अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को धर्म, नस्ल या मत के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए. दरअसल एक पत्रकार ने तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर रेयान से सवाल पूछा था और उन्होंने यह जवाब दिया. रेयान ने यह भी बताया कि डब्ल्यूएचओ इस्लामिक और अन्य धार्मिक नेताओं के संपर्क में है और धार्मिक आयोजन स्थगित करने पर चर्चा कर रहा है. साथ ही उन्होंने भारत में स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हुए हमले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि जो लोग जनता की सेवा में लगे हुए हैं उनपर हमला होना संगठन को मंजूर नहीं है. उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों पर सख्त कार्रवाई की भी मांग की है.

"नस्लीय" टिप्पणी की आलोचना

पिछले दिनों फ्रांस के दो डॉक्टरों ने एक "नस्लीय" बयान में कहा था कि कोरोना वायरस के टीके का परीक्षण अफ्रीका में हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने फ्रांसीसी डॉक्टरों की इस टिप्पणी की निंदा की है. दरअसल एक टीवी बहस में डॉक्टर ने टीके का परीक्षण अफ्रीका में करने की सलाह दी थी. डॉक्टर के इस बयान के बाद भारी बवाल हुआ और उन पर अफ्रीकी लोगों के साथ "जानवरों" की तरह व्यवहार के आरोप लगे. हालांकि बवाल बढ़ने के साथ ही एक डॉक्टर ने अपनी टिप्पणी पर माफी मांग ली थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने कहा है कि अफ्रीका में किसी भी संक्रमण के खिलाफ टीके का परीक्षण नहीं होगा. घेब्रेयसस से जब डॉक्टरों की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो वह नाराज हो गए और कहा कि यह "औपनिवेशिक मानसिकता" का हैंगओवर है. घेब्रेयसस ने कहा, "21वीं शताब्दी में वैज्ञानिकों की तरफ से ऐसी टिप्पणी सुनना अपमानजनक है. हम इस तरह की टिप्पणी के कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ऐसा नहीं होगा."

दरअसल फ्रांस में एक टीवी डिबेट में दो डॉक्टर कोरोना वायरस के टीके के परीक्षण के बारे में चर्चा कर रहे थे और वैक्सीन का परीक्षण यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में करने के बारे में कह रहे थे, तभी दूसरे डॉक्टर ने कहा कि क्या हमें इसका परीक्षण अफ्रीका में नहीं करना चाहिए क्योंकि वहां कोई मास्क नहीं है, कोई इलाज नहीं है और ना ही वहां पुनर्जीवन है. इस बयान के बाद डॉक्टरों की जमकर आलोचना हुई और उन्हें इसके लिए खेद भी जताना पड़ा.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें