डिकम्पोज होने वाला प्लास्टिक
१७ अक्टूबर २०१३खरीदारी के लिए निकलें, तो समझें पॉलिथिन बैग साथ आएगा. कपड़े हों, किराना, जूते या दवाइयां, हर चीज प्लास्टिक बैग में ही आती है. लेकिन एक प्लास्टिक की थैली औसतन सिर्फ 25 मिनट ही इस्तेमाल होती है. उसके बाद इसे फेंक दिया जाता है. अगर जला नहीं, तो सड़कों पर पड़ा रहता है या फिर समुद्रों और नदियों में पहुंच जाता है. 25 मिनट इस्तेमाल की गई प्लास्टिक की थैली अगले 500 साल तक अपघटित नहीं होती. लेकिन ऑर्गेनिक प्लास्टिक अलग है. यह दोबारा इस्तेमाल होने वाली चीजों से बना है और यह डिकम्पोज भी हो जाता है. इस तरह के प्लास्टिक की खासियत यह भी है कि इससे कचरा नहीं बढ़ता है.
जर्मनी में ऑर्गेनिक प्लास्टिक बनाने वाली कंपनी ओमर के सीईओ हैरबर्ट पेडे बताते हैं, "इसके अलग निबटारे की जरूरत नहीं है, जैसा कि पारंपरिक थैलियों के साथ होता है. इसलिए मैंने कच्चे माल के लिए कोई सिस्टम ही नहीं बनाया है. वे कुछ दिनों बाद अपने आप मिट्टी में घुल जाते हैं और उन्हें अलग से ठिकाने लगाने की जरूरत नहीं पड़ती." साथ ही इस तरह के प्लास्टिक को बनाने में कम प्राकृतिक ईंधन लगता है.
पहचानना मुश्किल
कई देशों में ऑर्गेनिक कचरा फेंकने का अलग डिब्बा होता है. इसमें आप रसोई का कचरा फेंक सकते हैं जो बाद में खाद बनाने के काम आता है. वैसे तो इस तरह की थैलियों को इसी डिब्बे में फेंका जा सकता है क्योंकि यह जल्द ही गल जाती है, लेकिन जर्मनी में ऐसा करने पर पाबंदी है. जर्मनी में कूड़ा छांटने वाले सेंट ऑगस्टिन प्लांट के सुपरवाइजर सिल्वियो बुशबताते हैं, "थैली पर आप नहीं देख सकते हैं कि यह पारंपरिक थैली है या डिकम्पोज होने वाली. हमें पहचानने में मुश्किल होती है."
हालांकि इन थैलियों पर हरे रंग का निशान बना होता है जो कि बताता है कि थैली ऑर्गेनिक है. लेकिन कूड़े में मिल जाने के बाद इस निशान को पहचानना मुश्किल हो जाता है. सिल्वियो बुश कहते हैं, "थैली हमारे लिए थैली है. हमारा काम है कि जो भी प्लास्टिक की तरह दिखता है, उसे छांट दिया जाए नहीं तो पूरा कंपोस्ट गंदा हो जाएगा."
बिक्री में बाधा
एक और परेशानी यह भी है कि ऑर्गेनिक प्लास्टिक बहुत धीरे धीरे डिकम्पोज होता है. इसमें करीब 90 दिन लग जाते हैं. जर्मन नियमों के अनुसार यह काफी नहीं है. सिल्वियो बुश बताते हैं, "जर्मनी में डीआइएन नाम का मानक है. ऑर्गेनिक प्लास्टिक नब्बे दिनों में डिकम्पोज होता है, जबकि हमारे प्लांट में डिकम्पोजिंग की मियाद 35 दिनों की है. यानी इस दौरान ये थैलियां डिकम्पोज नहीं होंगी."
यही इसकी बिक्री में बाधा भी डाल रहा है. शुरुआत में तो जर्मनी में ये थैलियां काफी तेजी से बिकी, लेकिन फिर बिक्री धीमी हो गई. बहरहाल, यह एक ऐसा रास्ता दिख रहा है, जो भारत जैसे देशों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, जहां प्लास्टिक थैलियां खूब इस्तेमाल होती हैं, लेकिन यहां वहां फेंक दी जाती हैं.
रिपोर्टः मार्टिन रीबे/अनवर अशरफ
संपादनः ईशा भाटिया