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डीएमके को मनाने की कोशिश में कांग्रेस

६ मार्च २०११

कांग्रेस ने डीएमके को मनाने के लिए पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद को डीएमके नेताओं के साथ बातचीत के लिए चेन्नई भेजा है. डीएमके ने कहा है कि सोमवार को उसके मंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे.

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तस्वीर: AP

डीएमके ने कहा है कि उसके छह मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भी वह केंद्रीय यूपीए सरकार को मुद्दे पर आधारित समर्थन देता रहेगा. हालांकि कांग्रेस के साथ बातचीत को लेकर डीएमके के वरिष्ठ नेता टीआर बालू ने कहा, "कांग्रेस ने हमसे संपर्क नहीं किया है. डीएमके मंत्री कल (सोमवार) अपने इस्तीफे जमा करेंगे." कांग्रेस पार्टी ने भी इस सिलसिले में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है. स्थानीय टीवी चैनलों के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविवार को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मिलकर आगे का रास्ता तय करेंगे.

N Kiran Kumar Reddy und Gulam Nabi Azad
मान मनव्वल की कोशिशतस्वीर: UNI

2जी घोटाले में मोबाइल लाइसेंस बांटने के सिलसिले में राजनीतिक विश्लेषक चो रामस्वामी का कहना है, "डीएमके और यूपीए के बीच विवाद सीटों की वजह से नहीं है, यह 2जी घोटाले की जांच की वजह से है." डीएमके और कांग्रेस के बीच टेलीकॉम कांड के बाद संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं. 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस सस्ते में दिए जाने की वजह से सरकार को 176 अरब रुपये का नुकसान हुआ है. इस वजह से डीएमके नेता ए राजा को टेलीकॉम मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. राजा से इस वक्त पूछताछ की जा रही है और वह जेल में हैं. माना जा रहा है कि 2जी घोटाले का फंदा डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि और उनके परिवारजनों को भी अपने चपेट में ले सकता है.

उधर विपक्ष इस नई घटना को कांग्रेस की प्रमुखता में यूपीए सरकार की बढ़ती कमजोरी के रूप में देख रहे हैं. बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा है कि यूपीए गठबंधन में दरारें आ रही हैं. कांग्रेस और डीएमके अपने आप पर ही भारी पड़ रहे हैं. भारत के निचले सदन, लोकसभा में 545 सदस्य हैं जिनमें से 18 डीएमके के हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस स्थिति में कांग्रेस समजावादी पार्टी से समर्थन मांगने के बारे में सोच सकती हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी के 22 सदस्य लोकसभा में हैं. डीएमके का समर्थन खोना कांग्रेस के लिए इस वजह से चिंताजनक है क्योंकि बजट अधिवेशन चल रहा है और अगर बजट को बहुमत से पारित नहीं किया जाता तो सरकार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है.

सरकार के लिए दूसरी मुश्किल यह है कि वह एक के बाद एक घोटाले में फंसती जा रही है, जिससे जनसमर्थन कमजोर हुआ है. टेलीकॉम घोटाले के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैंडल और हाल ही में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की नियुक्ति को लेकर सरकार को बैक फुट पर जाना पड़ा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए जमाल

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