डेविस के मामले पर पाक की कशमकश
१६ फ़रवरी २०११पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि लाहौर में मारे गए दो लोगों के परिवार वाले डेविस को माफ कर सकते हैं. हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डेविस की किस्मत का फैसला कोर्ट को करना है.
उलेमाओं के एक सम्मेलन में गिलानी ने धार्मिक नेताओं से इस्लामिक कानूनों के जरिए इस संवेदनशील मुद्दे का हल खोजने की अपील की. उन्होंने कहा, "उलेमाओं को कोई हल बताना चाहिए. या तो पीड़ित परिवारवाले माफी दे दें या फिर किसास (हर्जाने) की मांग करें. या फिर अदालत इसका फैसला करे. हमारी इस बारे में कोई भूमिका नहीं है."
उधर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रेमंड डेविस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है. एक बयान में मंत्रालय ने कहा, "विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया की उन रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिनमें रेमंड एलन डेविस को राजनयिक संरक्षण के बारे में बात कही गई थी. विदेश मंत्रालय ने सार्वजनिक या आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं कहा है."
मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में किसी तरह की अटकलें नहीं लगाई जानी चाहिए. इस्लामाबाद से बुधवार सुबह इस तरह की खबरें आईं कि अमेरिका और पाकिस्तान रेमंड डेविस को रिहा करने के लिए किसी तरह के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं. अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष जॉन केरी ने पाकिस्तान में बयान दिया कि अमेरिका का न्याय विभाग लाहौर में हुई उस गोलीबारी की जांच करेगा जिसमें रेमंड ने दो लोगों को मार दिया था, भले ही रेमंड को राजनयिक संरक्षण मिला हो. रेमंड का कहना है कि उन्होंने गोली अपने बचाव में चलाई.
पाकिस्तान अखबारों में इस तरह की खबरें छपी हैं कि पाकिस्तान सरकार कोर्ट में कह सकती है कि डेविस को विएना कन्वेंशन के तहत राजनयिक संरक्षण हासिल है. लाहौर हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है. इससे जुड़ीं कई अपीलें दायर हो चुकी हैं और गुरुवार से मामले की सुनवाई होनी है.
डॉन अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है, "लाहौर हाई कोर्ट को बताया जाएगा कि 20 जनवरी को अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी एक नोटिस के मुताबिक रेमंड डेविस को प्रशासनिक और तकनीकी स्टाफ का सदस्य नियुक्त किया गया. इसके आधार पर वह विएन कन्वेंशन के मुताबिक राजनयिक संरक्षण के अधिकारी हैं."
अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बात को खारिज कर दिया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार