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समाज

ड्राइवर की मदद करके आया बड़ी कंपनी बनाने का आइडिया

२ जून २०१७

सफलता की कई कहानियों के पीछे अक्सर एक बहुत छोटी सी घटना होती है. जानिए एक ऐसी ही कहानी जिससे हजारों की जिंदगी बदल गई.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

पेशे से बैंकर रहे रजनीश ढाल के ड्राइवर ने एक बार उनसे कुछ पैसे मांगे. वजह पूछने पर उसने बताया कि वह घर खरीदना चाहता है. रजनीश ने उसे बैंक से लोन लेने की सलाह दी. रजनीश के ड्राईवर ने उन्हें बताया कि उसके पास इनकम टैक्स और बाकी कई जरूरी औपचारिक कागजात नहीं हैं और इसीलिए कोई भी बैंक उसे लोन देगा ही नहीं.

रजनीश ने अपने ड्राइवर को पैसे तो दिए लेकिन इस बारे में अरसे तक सोचते रहे और बस... यहीं से शुरू हुई 'आधार हाउसिंग फाइनेंस' कंपनी बनने की कहानी. कहानी एक बैंकर की, जिसने एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी जिसका मकसद उन मजदूरों और कर्मचारियों की मदद करना था, जो घर खरीदने का सपना देखते हैं. रजनीश कहते हैं, "घर खरीदना एक मुश्किल काम है, खासकर मुम्बई जैसे शहर में. लोग घर खरीदना चाहते हैं, लेकिन बिना फाइनेंस के यह काम नामुमकिन है.”

भारत में काम करने वाले 47 करोड़ लोगों में से 90 प्रतिशत लोग वे हैं, जो घरों में काम कर रहे हैं, मजदूरी कर रहे हैं या इस तरह का कोई और छोटा मोटा काम कर रहे हैं जिससे उन्हें नियमित वेतन नहीं मिलता. और घर खरीदने के लिए उनके पास अन्य लोगों से पैसा मांगने के सिवाय कोई उपाय नहीं है.

हाल के सालों में आधार के अलावा टाटा, महिंद्रा और टीवीएस जैसे कई समूहों ने भी माइक्रो होम लोन कंपनियां बनायी हैं. ये कंपनियां घर या मकान की कीमत के 90 फीसदी के बराबर लोन देती हैं. उनकी ब्याज दर आम तौर पर 13 प्रतिशत से कुछ ज्यादा होती है और लोन 25 साल तक की अवधि में चुकाया जा सकता है.

इसके अलावा सरकार भी लोगों को किफायती दामों पर घर मुहैया कराने के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना‘ चला रही है. इसका लक्ष्य 2020 तक सभी लोगों के लिए आवास सुरक्षित करना है.

भारत के शहरों में रहने वाला हर तीसरा इंसान झुग्गियों या छोटी बस्तियों में या सड़कों के किनारे रहने को मजबूर है. आने वाले सालों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि हर साल गावों से हजारों लाखों लोग शहरों में काम की तलाश में पहुंच रहे हैं.

भारत के शहरों में इस समय लगभग 2 करोड़ से भी ज्यादा घरों की किल्लत है. उन परिवारों के सामने सबसे ज्यादा मुश्किल है जिनकी मासिक आय 16 हजार रुपए से कम है, क्योंकि उनके लिए महंगी दरों पर बैंक से लोन लेना बहुत मुश्किल है.

उनकी कंपनी ‘आधार' के चीफ एग्जीक्यूटिव देव शंकर ने बताया कि उनके पास आये लोगों में से तीन चौथाई से भी ज्यादा ऐसे थे, जिन्होंने इससे पहले कभी कोई लोन नहीं लिया था. उनकी कंपनी अब तक 50 हजार से भी ज्यादा लोगों को लोन दे चुकी है. आधार फाइनेंस में विश्व बैंक के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगम की भी हिस्सेदारी है.

देव कहते हैं "घर खरीदना हर आदमी का सपना होता है. कम आमदनी वाले लोगों के लिए एक घर का मतलब होता है सुरक्षा, सशक्तिकरण और व्यापक समाज का हिस्सा होना. हम लोगों के लिए अंबानी जैसा बड़ा बंगला तो नहीं दे सकते लेकिन कम से कम एक ऐसे घर बना सकते हैं जिन तक सबकी पहुंच हो.”

एसएस/एके (रॉयटर्स)