तानाशाह से मुकाबला करने वाला बैंकर
१९ फ़रवरी २०२१विक्टर बाबारिको ने कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले बयान कर अपने समर्थकों से कहा कि पिछला साल, "हमारे लिए, हमारी आत्मा की गुलामी पर" एक जीत का साल था, भले ही तानाशाह राष्ट्रपति अलेक्जांडर लुकाशेंको से राजनीतिक जीत की कोशिश अब तक नाकाम रही है. बाबरिको ने कहा, "कई सालों से उन्होंने हमारे मन में यह बिठा रखा था कि बेलारूस के लोग बिना सख्ती किए बात नहीं मानेंगे, हम स्वतंत्र रूप से अपने फैसले लेने में अक्षम हैं और अपने भविष्य की जिम्मेदारी नहीं ले सकते.”
बाबरिको ने यह संदेश जेल के भीतर से लिखा है जहां वे पिछले आठ महीने से बंद हैं. इन महीनों में बेलारूस में बहुत बदलाव हुए हैं, हालांकि वे इन बदलावों को सींखचों के पीछे रह कर ही जान पा रहे हैं.
राष्ट्रपति चुनाव का अभियान छोटा हो गया
बाबारिको की के न्याय तंत्र के साथ समस्या 2020 के जून में शुरू हुई. कुछ ही हफ्तों चले राष्ट्रपति चुनाव के अभियान ने लाखों बेलारुसवासियों ने खुद को राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में रजिस्टर करा. शुरुआती ऑनलाइन सर्वे में बाबारिको वर्तमान राष्ट्रपति लुकाशेंको की तुलना में बहुत ज्यादा आगे थे. कुछ लोगों का तो मानना था कि विपक्षी उम्मीदवार 50 फीसदी तक वोट हालिस कर सकते हैं. अधिकारियों ने इसका जवाब स्वतंत्र सर्वे पर रोक लगाकर दिया.
जून की शुरुआत में ही जांच अधिकारियों ने बेलगाजप्रोमबैंक पर छापे भी मारे. यह वही बैंक है जिसे बाबारिको बीते 20 साल से चला रहे हैं और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए उन्होंने वहां से इस्तीफा दिया. बाबरिको को घूस लेने के आरोप में बंद किया गया. आरोप लगा कि उन्होंने 16 साल में मनी लाउंड्रिंग के जरिए करीब एक करोड़ यूरो की रिश्वत ली. इसके तुरंत तबाद ही बेलारुस के निर्वाचन आयोग ने उनके उम्मीदवार के तौर पर खुद को रजिस्टर करने की कोशिश पर विराम लगा दिया. आयोग ने इसके पीछे उनके खिलाफ आपराधिक मामले चलने की दलील दी. साथ ही यह भी आरोप लगा कि वो अपनी सारी संपत्ति का ब्यौरा देने में नाकाम रहे.
अगर बाबरिको दोषी करार दिए जाते हैं तो उन्हें 15 साल की कैद की सजा हो सकती है. बेलगाजप्रोमबैंक के उनके छह साथियों के खिलाफ भी सुनवाई चल रही है और उनमें से सभी ने जांचकर्ताओं के साथ करार में वादामाफ गवाह बनने पर सहमति दे दी है. इसके बाद इन लोगों की सजाएं आधी माफ हो जाएंगी. जांचकर्ताओं को यह बताने में काफी मुश्किल पेश आ रही है कि क्यों बाबरिको के खिलाफ मुकदमा उनका सार्वजनिक जीवन शुरू होने और उनकी राजनीतिक आकांक्षाओं के सामने आने के बाद चला. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि यह मात्र संयोग नहीं है.
रूस की सरकारी गैस कंपनी गजप्रोम के स्वामित्व वाली बैंक के प्रमुख के रूप में बाबरिको के रूस से रिश्ते जाहिर तौर पर करीबी हैं. हालांकि उन्होंने रूस के साथ अपने सभी संबंधों में बेलारुस की संप्रभुता को बचाने पर जोर दिया है और ना सिर्फ रूस के साथ बल्कि यूरोप के साथ भी अपने संबंधों में दोनों के लिए फायदेमंद संबंध बनाए हैं.
राष्ट्रपति के दफ्तर में कारोबारी कुशलता!
बाबरिको ने रूस के कोमरसांट अखबार से कहा कि लंबे समय के दौर में वो उम्मीद करते हैं कि बेलारुस निरपेक्षता हासिल कर लेगा, भले ही इसका मतलब रूस के साथ मौजूदा सुरक्षा इंतजामों से बाहर निकलना ही क्यों ना हो.
बाबरिको ने राष्ट्रपति चुनाव के अभियान में खुद को एक मैनेजर के रूप में पेश किया जिसे बेलारुस के लोग उन्हें अपने लिए काम पर रखें. बाबरिको कहते हैं कि करीब ढाई दशक के कार्यकाल में लुकाशेंको यह भूल गए हैं कि बेलारुस के लोग उनके मालिक हैं, उनके नौकर नहीं. इस अभियान में उन्होंने मैनेजर के तौर पर अपनी कुशलता का भरपूर प्रयोग किया. इसने उनकी ऐसी छवि बनाई है जो समस्याओं का निदान करने और बेलारुस के पिछड़ेपन को दूर करने में सक्षम है. बाबरिको के समर्थकों ने "वमेस्ते” नाम की एक पार्टी भी बनाने की कोशिश की. इसका मतलब है "साथ साथ.” हालांकि यह पार्टी नहीं खड़ी हो सकी, गिरफ्तारियों के चले एक दौर ने बाबरिको के सहयोगियों को भी जेल के भीतर पहुंचा दिया.
जेल या फिर निर्वासन
अक्टूबर में मिंस्क की सड़कों पर करीब दो महीने के विशाल प्रदर्शनों के बाद लुकाशेंको सामने आए और कहा कि वो विपक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. सबको चौंकाते हुए उन्होंने जेल जाकर बाबरिको और दूसरे विपक्षी नेताओं से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने चार घंटे तक ज्यादा समय में बेलारुस के भविष्य के लिए संवैधानिक सुधारों पर चर्चा की. उम्मीद से भरे विश्लेषकों को लगा कि यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की शुरुआत है. हालांकि पतझड़ के बाद जैसे ही सर्दियों ने सिर उठाया और प्रदर्शन थमे, आत्मविश्वास से भरी सरकार ने विपक्षी दलों के साथ किसी तरह की कोई बातचीत से इंकार कर दिया.
नागरिक समाज के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई और उनके सहआरोपियों ने अभियोजन के साथ करार कर लिया. ऐसे में कोर्ट क्या फैसला देगा इसके बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता. सरकारी मीडिया में बाबरिको के खिलाफ सबूतों वाली रिपोर्टों की बारिश हो रही है. ऐसा लग रहा है जैसे सरकार के पास अपने चेहरे से दाग छिपाने का बस एक ही तरीका है कि वो बाबरिको को निर्वासन पर भेज दे. आने वाले वर्षों में लगता नहीं कि बाबरिको की जिंदगी जेल से बाहर निकलेगी.
सरकार का संदेश साफ है. देश का कोई विपक्षी नेता चाहे कितना भी रसूख वाला हो, वह आजाद और बेलारुस में नहीं रह सकता.
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