तालिबान से बात कराने की मांग
२६ अगस्त २०१३करजई ने कहा कि पाकिस्तान को अफगान तालिबान विद्रोहियों से बातचीत करवानी चाहिए. इस्लामाबाद पहुंचते ही करजई की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात हुई जिसके बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान जिस भी तरीके से मदद कर सकता है, वह करेगा और तालिबान को बातचीत का एक मौका देगा."
पाकिस्तान में इस साल जून में नई सरकार के गठन के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह पहली उच्चस्तरीय वार्ता थी. करजई ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि यदि यह हमारा मुख्य एजेंडा रहे तो हम दोनों देशों में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में चल सकते हैं." नवाज शरीफ ने कहा कि वह करजई को आश्वस्त करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिस नेक मकसद के लिए काम कर रहा है, उसको वह भी अपना समर्थन देंगे.
तालिबान कैदियों की रिहाई
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार बैठक में तालिबान के मुख्यालय को कतर से हटा कर सउदी अरब या तुर्की ले जाने पर भी चर्चा हुई. इसके अलावा अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से तालिबान कैदियों को रिहा करने की भी मांग की है. 2010 में गिरफ्तार किए गए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की रिहाई पर भी चर्चा की गयी. कुछ रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मुल्ला अब्दुल गनी की रिहाई का संकेत भी दिया है.
इससे पहले भी शांति प्रक्रिया के ही तहत काबुल की मांग पर इस्लामाबाद ने पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत में करीब दो दर्जन तालिबान कैदियों को रिहा किया. लेकिन रिहाई काबुल और वॉशिंगटन दोनों के लिए तब सिरदर्द बन गयी जब यह बात सामने आई कि पाकिस्तान रिहा किए गए कैदियों पर कोई नजर नहीं रख रहा है.
उम्मीद है, विश्वास नहीं
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार हाल ही में राष्ट्रपति करजई के प्रतिनिधियों ने तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ शांति स्थापित करने पर गुप्त बातचीत की है. लेकिन इस बारे में अभी कोई सूचना नहीं है कि क्या वे आगे के लिए कोई रास्ता निकाल पाए हैं.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लम्बे समय से रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. काबुल लगातार पाकिस्तान पर तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाता आया है. करजई के इस दौरे से दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होने के कयास भी लगाए जा रहे थे, लेकिन शनिवार को दौरे पर निकलने से पहले करजई ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, "मुझे विश्वास तो नहीं है, पर मुझे उम्मीद है."
करजई के दौरे को ले कर पाकिस्तान मीडिया में भी खूब चर्चा बनी रही, लेकिन स्थिति के बदलने की उम्मीद नहीं की जा रही है. पाकिस्तान के अखबार डॉन ने तो लिखा, "उम्मीद कायम रखें, लेकिन यथापूर्व स्थिति के बने रहने के लिए भी खुद को तैयार रखें".
आईबी/एमजे (एपी/डीपीए)