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तिब्बत मामले में दख़ल नहीं देगा संयुक्त राष्ट्र

१८ मार्च २००८

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि तिब्बत मामले में दख़ल देने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि महासचिव बान की मून ने कहा है कि वहां फ़ौरन हिंसा रुकनी चाहिए।

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ल्हासा में ज़बरदस्त प्रदर्शन हुए
ल्हासा में ज़बरदस्त प्रदर्शन हुएतस्वीर: picture-alliance/ dpa

संयुक्त राष्ट्र ने साफ़ कर दिया है कि तिब्बत मामले में उसके दख़ल की ज़रूरत नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद चीन से संयम बरतने और तिब्बत के हालात पर क़ाबू पाने की अपील की। मून ने कहा कि तिब्बत में फ़ौरन हिंसा रुकनी चाहिए। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं दिखती है कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले में दख़ल दे। संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि ऐसे क़दम उठाए जाने चाहिए, जिससे तिब्बत में आगे हिंसा न हो।

तिब्बत के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक अनौपचारिक बैठक हुई, जिसमें वहां की स्थिति पर चर्चा की गई। इसी बैठक में चीन ने कहा कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की किसी भूमिका की आवश्यकता नहीं है। रूस ने चीन के इस तर्क का साथ दिया।

इससे पहले समर्पण के लिए चीन की समयसीमा आधी रात को ख़त्म हो गई। बताया जाता है कि इसके बाद चीन ने तिब्बत में प्रवेश पर रोक लगा दी है। तिब्बत में पिछले हफ़्ते हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 80 लोगों के मारे जाने की ख़बर है। चीन ने आरोप लगाया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ल्हासा के लोगों को भड़का रहे हैं। हालांकि दलाई लामा ने इस आरोप से इनकार किया है।

वैसे धीरे धीरे तिब्बत की राजधानी ल्हासा में हालात सामान्य हो रहे हैं और पिछले कुछ वक्त से वहां से हिंसा की कोई ख़बर नहीं आई है। चीन में इस साल ओलंपिक होने हैं और तिब्बत के हालात को लेकर उस पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बीच बीच में ओलंपिक बहिष्कार जैसी बात भी सामने आ रही है, लेकिन इसे ज्यादा तूल नहीं दिया जा रहा है।