तुरंत गद्दाफी को हटाना लक्ष्य नहीं: अमेरिका
२० मार्च २०११एक अमेरिकी टीवी चैनल से बातचीत में अमेरिकी सैन्य प्रमुख माइक मलन ने कहा कि शनिवार को अमेरिकी नेतृत्व में शुरू हुई बहुराष्ट्रीय कार्रवाई के तहत विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी शहर बेनगाजी में गद्दाफी के वायुसैनिक ठिकानों और फौज के ठिकानों को निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा, "कुछ दिनों से गद्दाफी के विमान या हेलीकॉप्टर बेनगाजी के ऊपर उड़ान नहीं भर रहे हैं. इसलिए नो फ्लाई जोन प्रभावी रूप से काम कर रहा है. हमने उन्हें बेनगाजी के नजदीक रोक दिया है." उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों की सेनाओं ने बेनगाजी के ऊपर युद्धक वायुसैनिक गश्त स्थापित कर ली है जो बाद में राजधानी त्रिपोली की तरफ भी बढ़ाई जा सकती है.
अमेरिकी सेना प्रमुख ने साफ किया कि पश्चिमी सैन्य कार्रवाई का मकसद आम लोगों की रक्षा करना और वहां संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता के कामों में मदद करना है. इसका मकसद 41 साल से चली आ रही गद्दाफी की सत्ता को खत्म करना नहीं है. लेकिन एक अमेरिकी सीनेटर जो लीबरमान ने गद्दाफी को सत्ता से बाहर करने की मांग की है. उन्होंने कहा, "एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कह दिया कि गद्दाफी को जाना होगा. अब अगर हम अपने सहयोगियों के साथ मिल कर उनकी सत्ता से विदाई नहीं करते हैं तो इससे दुनिया भर में अमेरिका की विश्वसनीयता को धक्का लगेगा." जब मलन से पूछा गया कि क्या गद्दाफी के सत्ता में रहते वहां शुरू किया गया अभियान खत्म हो जाएगा तो उन्होंने कहा, "मैं इस बारे में कोई अटकलबाजी नहीं करना चाहता."
बम नहीं नो फ्लाई जोन
उधर अरब लीग ने लीबिया में पश्चिमी देशों की कार्रवाई का विरोध किया है. हफ्ते भर पहले संयुक्त राष्ट्र से लीबिया पर नो फ्लाई जोन को लागू करने का आग्रह करने वाली लीग के महासचिव अम्र मूसा का कहना है, "लीबिया में जो कुछ हुआ, वह नो फ्लाई जोन के लक्ष्य से बिल्कुल अलग है. हम आम लोगों की रक्षा के लिए नो फ्लाई जोन चाहते थे कि दूसरे नागरिकों पर बमबारी. शुरू से ही हमने नो फ्लाई जोन के लिए कहा था."
लीबिया पर बहुराष्ट्रीय सैन्य कार्रवाई का कई देशों ने विरोध किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा, "भारत लीबिया में जारी हिंसा, अशांति और बिगड़ती मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता जताता है. उसे हवाई हमलों पर भी अफसोस है. जो भी कदम उठाया जा रहा है उससे स्थिति बिगड़नी नहीं बल्कि बेहतर होनी चाहिए." भारत ने लीबिया में शांतिपूर्ण तरीके से हल की अपील की है. रूस, चीन और ईरान ने भी इसी तरह के बयान जारी किए हैं.
जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले को डर है कि पश्चिमी जगत लीबिया में एक लंबे संघर्ष में न उलझ जाए. बर्लिन में उन्होंने कहा, "हमने इसलिए लीबिया में अपने सैनिक नहीं भेजे हैं कि हमें गद्दाफी के कोई हमदर्दी है, बल्कि हमें वहां अभियान लंबा खिंचने का जोखिम दिखाई पड़ रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि हमारी सभी आशंकाएं गलत साबित हों. लेकिन जब आप सैन्य अभियान शुरू करते हैं तो आप सर्वोत्तम नतीजे के लिए खुद को तैयार नहीं रख सकते, बल्कि आपको ऐसी स्थिति देखनी पड़ सकती है जो उतनी अच्छी न हो."
बेनगाजी में मौतें
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने शनिवार को हवा और समुद्र से गद्दाफी की सेनाओं को मिसाइलों से निशाना बनाया. यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत की गई है जिसमें विद्रोहियों पर गद्दाफी के हमलों को रोकने के लिए नो फ्लाई जो लागू करने की अनुमति दी गई है. लीबियाई सरकारी टीवी के मुताबिक पश्चिमी लड़ाकू विमानों ने राजधानी त्रिपोली में रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है जिसमें आम लोगों की जानें गई हैं. सेना के प्रवक्ता ने कहा कि त्रिपोली के पूर्व में विद्रोहियों के कब्जे वाले मिसराता शहर में तेल टैकों पर हमले हुए हैं. सरकारी टीवी के मुताबिक पश्चिमी देशों की कार्रवाई में 48 लोग मारे गए और 150 घायल हुए हैं. मरने वालों में ज्यादातर बच्चे बताए जाते हैं.
उधर बेनगाजी में गद्दाफी के समर्थक सैनिकों के हमले में 94 लोगों के मारे जाने की खबर है. विद्रोहियों के कब्जे वाले बेनगाजी शहर में अस्पताल से जानकारी मिली है. बेनगाजी के जाला अस्पताल के डॉक्टर खालेद मुगासाबी ने कहा, "कल हमारे पास 50 शव आए. आज हमने लगभग 35 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए हैं." एएफपी संवाददाताओं ने जाला अस्पताल के एक कमरे में नौ गद्दाफी समर्थकों के शव भी देखे हैं. कई और लोगों के मारे जाने का भी अंदेशा है. बेनगाजी में शुक्रवार और शनिवार सुबह तक गद्दाफी समर्थक सैनिकों और विद्रोहियों के बीच लड़ाई हुई जिसके नतीजे में ये मौतें हुई हैं.
लंबी लड़ाई को तैयार
उधर एक टीवी संदेश में लीबिया शासक मुअम्मर गद्दाफी ने कहा, "सभी लीबियाई लोग एकजुट हैं. सभी लीबियाई महिला और पुरूषों को हथियार और बम दिए गए हैं. आप आगे नहीं बढ़ोगे. आप इस जमीन पर कदम नहीं रख पाओगे. हम आपको लंबे युद्ध का वादा करते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं होगी."
रविवार को लगातार दूसरे दिन कैमरे के सामने आए बिना सरकारी टीवी पर संदेश देने वाली गद्दाफी ने कहा, "हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. आप लीबिया में लंबी लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं. हम तैयार हैं. यह बहुत ही खुशी का पल है कि हम जी रहे हैं." गद्दाफी ने कहा कि ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के नेता हिटलर और मुसोलिनी की तरह गिर जाएंगे. उन्होंने कहा, "अमेरिका, फ्रांस, या ब्रिटेन, ईसाई हमारे खिलाफ एकजुट हो गए हैं. उन्हें हमारा तेल नहीं मिलेगा. आप हमलावर हो."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी