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तुर्की के एयरबेस से टुकड़ी हटायेगी जर्मन सेना

६ जून २०१७

सांसदों के दौरे पर तुर्की से विवाद के बाद जर्मनी ने इनचिरलिक सैनिक अड्डे से अपनी सेना हटाने का फैसला लिया है. तुर्की जर्मन सांसदों को इनचिरलिक में अपने सैनिकों से मिलने की अनुमति देने में आनाकानी करता रहा है.

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Ankara Bundesaußenminister Sigmar Gabriel SPD trifft den Außenminister der Republik Türkei Mevluet Cavusoglu
तस्वीर: Reuters/U. Bektas

जर्मनी के विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने कहा कि इनचिरलिक एयरबेस से जर्मन सेना को हटाने के मामले को लेकर वह कोशिश करेंगे कि उनके नाटो सहभागी देश तुर्की से उनके रिश्ते खराब न हों. उन्होंने कहा कि वे चांसलर अंगेला मैर्केल और रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन के साथ सहमत हैं कि संसद इस बारे में आखिरी फैसला लेगी. उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा मंत्री एयरबेस से सैनिकों को हटाने की योजना पर काम करना शुरू कर चुकी हैं.

इससे पहले गाब्रिएल के साथ हुई बातचीत के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत चावुसोगलू ने कहा कि जर्मन सांसदों को दूसरे हवाई अड्डों पर जर्मन सैनिकों से मिलने की अनुमति दी जा सकती है, पर इनचिरलिक पर नहीं. तुर्की के फैसले पर जर्मन विदेश मत्री गाब्रिएल ने कहा था, "अपनी सेना के लिए हम जल्द ही एक नये ठिकाने की तलाश करेंगे." उन्होंने कहा कि उन्हें तुर्की के फैसले पर अफसोस है और तुर्की को यह समझना होगा कि घरेलू राजनीतिक वजहों से हमें जर्मन सेना को एयरबेस से हटाना होगा.

जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन ने बर्लिन में एक बयान में कहा था कि "इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए इनरिचलिक एक अच्छा एयरबेस है, लेकिन हमें यह स्वीकार नहीं है कि हमें अपनी ही सेना से मिलने की अनुमति न हो."

कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के तहत जर्मनी के लगभग 270 सैनिक इस एयरबेस पर तैनात हैं. जर्मनी में सेना की देश के बाहर तैनाती का फैसला संसद करती है, इसलिए सांसद कभी भी अपने सैनिकों से मिलने और तैनाती की स्थिति का जायजा लेना अपना अधिकार समझते हैं. लेकिन जर्मन संसद बुंडेसटाग द्वारा पिछले साल अर्मेनिया जनसंहार प्रस्ताव पास किये जाने के बाद से तुर्की जर्मन सांसदों को इनचिरलिक एयरबेस तक जाने की अनुमति देने में आनाकानी करता रहा है.

इसके बाद से दोनों देशों में कई मुद्दों विवाद हो गया था. तुर्की में राष्ट्रपति प्रणाली लागू किए जाने के जनमत संग्रह की जर्मनी में कड़ी आलोचना हुई. उस दौरान राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान सहित तुर्की के नेताओं ने जर्मनी पर कई आरोप लगाए. तुर्की पिछले साल अपने यहां हुये विफल तख्तापलट में शामिल होने का आरोप झेल रहे सैनिकों को जर्मनी में शरण दिये जाने से भी नाराज है. इसके अलावा जर्मन पत्रकारों की गिरफ्तारियों का भी मामला है. दैनिक डी वेल्ट के संवाददाता डेनिस यूचेल की आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप में बिना मुकदमे के साल के शुरू से जेल में हैं.

शोभा शमी (डीपीए)

Deutschland Deniz Yücel
तस्वीर: picture alliance/Eventpress/Stauffenberg