तुर्की में इंटरनेट पर कड़ाई
६ फ़रवरी २०१४तुर्की के प्रधानमंत्री रेचेप तय्यप एर्दोआन का नया विधेयक इंटरनेट पर और सीमाएं लगाने की बात करता है. 2007 में एक विवादित कानून पारित किया गया जिसके बाद तुर्की के सेंसर कानून चीन में सेंसर के स्तर पर आ गए. अब तुर्की के सांसदों ने 2007 के इस कानून को और कड़ा कर दिया है. नए कानून के मुताबिक तुर्की का टेलिकॉम प्राधिकरण टीआईबी बिना अदालत की इजाजत के किसी भी वेबसाइट पर रोक लगा सकता है अगर उसे इन वेबसाइटों पर छपी सामग्री उसे किसी भी तरह से आपत्तिजनक लगे.
इस्तांबुल के बिलगी विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर यमन आकदेनिस कहते हैं कि टीआईबी वेबसाइट होस्ट से यूजर के बारे में जानकारी भी हासिल कर सकेंगे. बिना अदालत की इजाजत के दो साल पुरानी जानकारी भी उन्हें आराम से मिल पाएगी. तुर्की में राजनेताओं ने एर्दोआन की तुलना हिटलर से भी की. नेता हसन ओरन ने कहा, "जब आप सत्ता में आए तो आपने तुर्की में लोकतंत्र को बढ़ावा देने का वादा किया था. अब आप फासीवाद लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. आप याद रखें कि जब हिटलर सत्ता में आया तो उसने भी इसी तरह के तरीके अपनाए थे."
2007 के इंटरनेट कानून के पारित होने के बाद ब्लॉगहोस्ट वर्डप्रेस और वीडियो शेयर करने वाली साइटें जैसे डेलीमोशन और विमेयो को अदालत के ऑर्डर की मदद से ब्लॉक किया गया है. 2010 तक तुर्की में यूट्यूब भी चलाना मुश्किल था. कुछ समाचार वेबसाइटों को देखना असंभव है और धार्मिक मूल्यों के अपमान का आरोप लगने पर जुर्माना या कुछ मामलों में जेल की सजा भी हो सकती है. यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन ओएससीई के मुताबिक टीआईबी को और ताकतवर बनाने का मतलब है कि वह इंटरनेट यूजरों के बारे में सारी जानकारी जमा कर सकता है. इंटरनेट यूजरों को कभी पता नहीं चल पाएगा कि उनके बारे में जानकारी कब और कैसे जमा होती है.
यूरोपीय संघ ने इस सिलसिले में आपत्ति जताई है. तुर्की यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है. यूरोपीय नेताओं का कहना है कि यूरोप में कानून और मौलिक अधिकार यूरोपीय संघ की नीति का केंद्र हैं.
एमजी/एएम(रॉयटर्स,डीपीए)