तुर्की यूरोप विवाद भारत के लिए कितना अहम
राजनीतिक प्रचार पर तुर्की और यूरोप के बीच हो रहा विवाद भारत के लिए भी दिलचस्प है. भारत कुशल कामगारों का निर्यात कर रहा है और विदेशों में मजबूत होता भारतीय प्रवासी समुदाय दोहरी नागरिकता और वोट का अधिकार मांग रहा है.
तुर्की में जनमत संग्रह
तुर्की में देश में संसदीय प्रणाली की जगह राष्ट्रपति प्रणाली लागू किये जाने पर 16 अप्रैल को जनमत संग्रह हो रहा है. इसके तहत संसद के बहुत सारे अधिकार छीन कर राष्ट्रपति को दिये जा रहे हैं.
एर्दोवान का प्रोजेक्ट
देश में राष्ट्रपति प्रणाली लागू करना राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान का प्रोजेक्ट है जो बारह साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद राष्ट्रपति बने हैं और राष्ट्रपति के पद को शोभा के पद से लगातार ताकतवर बनाते गये हैं.
यूरोपीय देशों का डर
लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करने वाले यूरोपीय देशों की आशंका है कि एर्दोवान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ही तरह सत्ता से चिपके हैं और लोकप्रियता का इस्तेमाल कर संविधान को अपने फायदे में बदलवा रहे हैं.
जर्मन पत्रकार की गिरफ्तारी
तुर्की ने जर्मनी के प्रमुख दैनिक डी वेल्ट के तुर्की मूल के रिपोर्टर डेनिस यूचेल को आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार कर यूरोप और खासकर जर्मनी के साथ टकराव का रास्ता अपनाया है. चुनाव प्रचार के विवाद ने डेनिस यूचेल के मामले को दबा दिया है.
आक्रामक रुख
यूरोपीय देशों में विरोध पर एर्दोवान और तुर्की की सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया है और अपने नेताओं को यूरोपीय देशों में जनमत संग्रह के प्रचार के लिए भेज रहा है. प्रचार का यह मौका पहला नहीं, लेकिन पहले कभी इतना आक्रामक नहीं रहा.
जर्मनी में असहजता
जर्मनी में केंद्रीय सरकार ने तुर्क नेताओं की चुनाव सभाओं पर कोई फैसला नहीं लिया. फैसला स्थानीय पालिकाओं को करने दिया जिन्होंने सुरक्षा की स्थिति भांप कर कभी उसके पक्ष में तो कभी उसके खिलाफ फैसला लिया. जर्मन शहर गागेनाऊ में तुर्की में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए प्रदर्शन.
नीदरलैंड्स में तकरार
लेकिन खुद चुनाव में उलझी नीदरलैंड्स में मार्क रुटे की सरकार ने एर्दोवान की मनमानी मानने से इंकार कर दिया. उसने तुर्क विदेशमंत्री को पहले तो आने से मना किया लेकिन बाद में उनके विमान की उड़ान अनुमति को कैंसिल कर दिया.
पुलिस से झड़प
नीदरलैंड्स के रोटरडम शहर में एर्दोवान समर्थक तुर्कों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई. वहां की सरकार ने तुर्की की एक मंत्री को कंसुलेट में नहीं जाने दिया. जिन शहरों में तुर्कों की आबादी बड़ी है और एर्दोवान की पार्टी का प्रभाव है, वहां कि सुरक्षा एजेंसियां सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
भारतीयों की दिलचस्पी
यूरोपीय देशों और तुर्की के विवाद को यूरोप में रहने वाले भारतीय भी दिलचस्पी से देख रहे हैं. यह विवाद, विदेशों में उनकी अभिव्यक्ति की सीमाओं और घरेलू राजनीतिक मुद्दों पर गतिविधियों के उनके अधिकारों पर भी असर डालेगी.
पीएम मोदी का प्रयास
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी परियोजनाओं के लिए विदेशों में रहने वाले भारतीयों को एकजुट करने की कोशिश की है. वे उन्हें भारत के साथ जुड़े रहने की सुविधायें देने के साथ भारत की विकास परियोजनाओं के साथ भी जोड़ना चाहते हैं.
भारत की आर्थिक नीति
भारत की मौजूदा सरकार विदेशी पूंजी निवेश और अपनी मेक इन इंडिया पहल के लिए समर्थन जुटाने के अलावा दुनिया को यह भी बताने की कोशिश कर रही है कि भारत आने वाले सालों में कुशल कामगारों की उनकी कमी को पूरा कर सकता है.
आप्रवासन पर सवाल
तुर्की की सरकार के साथ वर्तमान विवाद यूरोप की सरकारों को यह सोचने पर विवश करेगा कि क्या दोहरी नागरिकता और दोहरी निष्ठा की नीति भविष्य के लिए सही नीति होगी.