थम गया रूस और सऊदी अरब का ऑयल प्राइस वॉर
१० अप्रैल २०२०देश निर्यातक देशों का कहना है कि मई और जून में वे प्रतिदिन एक करोड़ बैरल कम तेल निकालेंगे. जुलाई से दिसंबर तक कटौती में थोड़ी राहत दी जाएगी और इसे 80 लाख बैरल कट में बदल दिया जाएगा.
तेल उत्पादन में यह कटौती अप्रैल 2022 तक जारी रह सकती है. तेल विक्रेता देशों को उम्मीद है कि उत्पादन कम करके तेल के गिरते दामों में लगाम लग सकेगी. लेकिन कटौती में अमल काफी हद तक मेक्सिको के फैसले पर भी निर्भर करता है. अगर मेक्सिको ने कटौती नहीं की या उत्पादन बढ़ाया तो ओपेक देशों का दांव नाकाम पड़ सकता है.
मेक्सिको के ऊर्जा मंत्री रोसियो नाहले गार्सिया ने ट्ववीट कर कहा कि उनका देश एक लाख बैरल प्रतिदिन कटौती करने को तैयार है. लेकिन बाकी देश उम्मीद कर रहे थे कि मेक्सिको चार लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करे.
वेनेजुएला ने भी रूस और सऊदी अरब के एक करोड़ बैरल प्रतिदिन के कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया है.
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए हुई मैराथन मीटिंग में रूस के ऊर्जा मंत्री और ओपेक के सहयोगी देश भी मौजूद थे. कोरोना वायरस और रूस-सऊदी अरब के झगड़े के चलते मार्च में तेल के दाम 18 साल बाद सबसे निचले स्तर पर आ चुके थे. लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयान के बाद क्रूड ऑयल की कीमत 20 फीसदी उछली. ट्रंप ने सऊदी अरब और रूस के विवाद के खत्म होने की उम्मीद जताई थी.
सऊदी अरब दुनिया में लंबे समय तक तेल का सबसे बड़ा उत्पादक था. लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिका में फ्रैकिंग तकनीक से तेल निकालने का तरीका बेहद कारगर साबित हुआ है. अब अमेरिका दुनिया में नंबर वन तेल उत्पादक बन चुका है.
14 सितंबर 1960 को अस्तित्व में आए संगठन, ऑगर्नाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) में अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वाडोर, गिनी, गाबोन, ईरान, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूएई और वेनेजुएला शामिल हैं. चाड, कनाडा, अर्जेंटीना, कोलंबिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, इंडोनेशिया, मिस्र और नॉर्वे संगठन के सहयोगी हैं.
ओएसजे/आरपी (एएफपी)
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