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थॉमस की नियुक्ति अवैध: सुप्रीम कोर्ट

३ मार्च २०११

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य निगरानी आयुक्त पीजे थॉमस की नियुक्त को अवैध ठहाराया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद थॉमस ने अपने पद से इस्तीफा दिया. कोर्ट ने कहा, सरकार ने भ्रष्टाचार का पुराना मामला नजरअंदाज किया.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

पामोलिन तेल घोटाले को संज्ञान में लेते हुए सर्वोच्च अदालत ने पीजे थॉमस की नियुक्ति को खारिज किया. अदालत ने केंद्र सरकार के रवैये पर भी गंभीर सवाल उठाए. यूपीए सरकार ने बीते साल सितंबर में तमाम आलोचनाओं के बावजूद पीजे थॉमस को सीवीसी नियुक्त किया. याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भ्रष्टाचार का मामले के जारी रहते हुए थॉमस को सीवीसी नियुक्त नहीं किया जा सकता.

लेकिन इन आरोपों और दलीलों का असर केंद्र सरकार पर नहीं पड़ा. विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद सरकार ने थॉमस को सीवीसी नियुक्त किया. इसके बाद मामला अदालत पहुंचा. थॉमस पर 1992 में मलेशिया से ऊंची कीमतों पर पामोलिन तेल खरीदने का केस चल रहा है.

भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि सीवीसी के पद की मर्यादा फिर से बहाल हो गई है. बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज उस पैनल में शामिल थीं जिसने थॉमस की नियुक्त की. लेकिन सुषमा स्वराज शुरू से ही इस नियुक्ति का विरोध करती आई हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रुड़ी ने कहा, ''यह एक ऐतिहासिक दिन है.यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए एक बड़े झटके की तरह है. थॉमस की नियुक्ति को खारिज करना यह अपने आप में केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ा तमाचा है कि उच्चतम न्यायालय ने भारत सरकारी की इस नियुक्ति को अवैध करार दिया है. यह नियुक्ति मनमोहन सिंह ने खुद की थी. लेकिन अदालत ने भ्रष्टाचार को लेकर इसे खारिज किया है. इस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी यह साफ हो गया है.''

रिपोर्टें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद थॉमस ने इस्तीफा सौंप दिया है. भारत के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि अगर सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला किया है तो निश्चित तौर पर इसका सम्मान किया जाएगा.

थॉमस की विदाई के साथ ही भारत की मौजूदा यूपीए सरकार पर एक और दाग लग गया है. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामलों में फंसती जा रही है. इससे पहले 176 अरब रुपये के टेलीकॉम घोटाले के सामने आने के बाद पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा, जो अब जेल में हैं. पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी सरकार भ्रष्टाचार के मामले में फंस चुकी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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