दक्षिण चीन सागर विवाद में अमेरिका कूदा
२४ जुलाई २०११अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने विवाद के हल के लिए भावी वार्ता के दिशानिर्देशों पर चीन और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच बनी सहमति का स्वागत किया है. इंडोनेशिया में एशियाई सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "हम समझते हैं कि यह पहला अहम कदम है, लेकिन सिर्फ पहला कदम."
क्लिंटन ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में जलक्षेत्र से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. चीन इस पूरे जलक्षेत्र को अपना बताता है जबकि ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इस पर दावेदारी जताते हैं. क्लिंटन ने कहा, "दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और चीन के बीच इस बारे में बहुत बातचीत की जरूरत है और पूरी दुनिया को इसमें अपना किरदार निभाना है क्योंकि हम सभी चाहते हैं कि ये विवाद हाथ से न निकल जाएं."
आमने सामने अमेरिकी और चीन
क्लिंटन ने बताया कि आधा वैश्विक व्यापार दक्षिण चीन सागर से ही होता है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इससे जुड़े विवादों के निपटारे में शामिल होना चाहिए, जबकि चीन इस रुख को बार बार खारिज करता है. हालांकि वह मुक्त नेवीगेशन यानी जहाजों की आवाजाही की गारंटी देने को तैयार है. चीन अपने स्तर पर आसियान देशों के साथ इन विवादों को सुलझाना चाहता है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि सभी क्षेत्रीय दावेदारियों का स्पष्ट तौर पर निर्धारण होना चाहिए और विवाद का हल संयुक्त राष्ट्र के जल कानून समझौते के मुताबिक होना चाहिए. चीन को छोड़ कर विवाद से जुड़े बाकी पक्ष भी ऐसा ही चाहते हैं. चीन ऐतिहासिक नक्शों के आधार पर इस पूरे जलक्षेत्र को अपना कहता है.
बुधवार को इंडोनेशिया के बाली द्वीप में 10 सदस्यों वाले दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान और चीन एक बैठक में विवाद के हल के लिए वार्ता के निदानिर्देशों पर सहमत हुए. चीन और कुछ आसियान देशों ने इसे बड़ी कामयाबी बताया जिससे तनाव दूर होगा, लेकिन फिलीपींस का कहना है कि दिशानिर्देशों में दम नहीं है क्योंकि उनमें विवादित क्षेत्र का स्पष्ट निर्धारण नहीं किया गया है.
आसान नहीं हल की राह
चीन क्लिंटन के बयान पर नाराजगी जता सकता है जो हमेशा अमेरिका को चेतावनी देता रहता है कि वह इस विवाद में हस्तक्षेप न करे. वह समुद्री जलसीमा से जुड़े विवादों को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव को भी खारिज करता है. क्लिंटन ने पिछले हफ्ते बाली में चीनी विदेश मंत्री यांग चिएची से मुलाकात की और इस रुख को दोहाराया कि समंदर में मुक्त नेवीगेशन अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है.
बाद में यांग ने कहा कि उन्होंने आसियान क्षेत्रीय फोरम की बैठक में हिस्सा ले रहे 20 एशियाई प्रशांत देशों को बताया कि चीन और उसके प्रतिद्वंद्वियों के बीच जारी विवाद के चलते जहाजरानी व्यापार पर असर नहीं होगा. हाल के महीनों में फिलीपींस और वियतनाम ने संसाधनों से मालामाल इस समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर नाराजगी जताई है. वे चीन पर अपने मछुआरों और तेल की खोज करने वाले पोतों को परेशान करने के आरोप लगाते हैं.
फिलीपींस के विदेश मंत्री एल्बर्ट डे रोसारिओ का कहना है कि जहाजों की मुक्त आवाजाही के बारे में यांग की बात ज्यादा राहत देने वाली नहीं है क्योंकि चीन बराबर इस बात को कहता है कि उस समंदर पर सिर्फ उसी का कब्जा है. उनके मुताबिक, "आप कैसे किसी बात पर दोतरफा तौर पर चर्चा कर सकते हैं जबकि सामने वाला कहता है कि पूरे क्षेत्र पर उसका ही अधिकार है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन