दलाई लामा का अरुणाचल दौरा
तिब्बती नेता दलाई लामा 8 साल बाद पूर्वोत्तर भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचे. चीन की आलोचना और खराब मौसम का सामना करते हुए वे पहाड़ी सड़कों पर 550 किमी की दूरी तय करते हुए बोमडिला और दिरांग से होकर तवांग गये.
अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बोमडिला में दलाई लामा के दर्शन के लिए दूर दराज के गांवों से आए लोग. यही वह जगह है जहां से वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीनी सेनाएं पीछे हटी थीं.
अभिषेक के मौके पर तिब्बती धर्मगुरु ने अरुणाचल से अपने खास रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि इस राज्य का उनके दिल में खास स्थान है. वर्ष 1959 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पलायन के बाद वे तवांग के रास्ते अरुणाचल होकर ही भारत पहुंचे थे.
अरुणाचल के बोमडिला में बौद्ध मठ के बाहर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात अर्धसैनिक बल का जवान. इस दौरे के मौके पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गयी.
अभिषेक के कार्यक्रम में बोलते हुए दलाई लामा ने मांसाहार का तो समर्थन किया, लेकिन इसके लिए पशुओं की हत्या को अनुचित करार दिया. उन्होंने भारत में बढ़ते आतंकवाद और असहिष्णुता पर भी चिंता जतायी.
दो दिनों तक दिरांग में रहने के दौरान दलाई लामा ने कई जगह स्थानीय लोगों को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान तिब्बत को स्वायत्तता देने की भी मांग उठायी.
तीन बार एवरेस्ट की चोटी फतह कर चुकी अंशु जमशेनपा ने भी दलाई लामा से मुलाकात की. अंशु तिब्बती हैं. तस्वीर में अंशु दलाई लामा को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की अपनी तस्वीर दिखा रही हैं. बाद में उन्होंने लामा को यह तस्वीर भेंट की.
बेहद खराब मौसम और सर्दी के बावजूद दलाई लामा को देखने सुनने के लिए दूर दराज के दुर्गम पहाड़ी इलाकों से बौद्ध धर्म के अनुयायी दिरांग पहुंचे थे. उन्होंने खुले मैदान में रह कर ही धैर्य से अपने धर्मगुरु की बातें सुनीं.
तिब्बती धर्मगुरु ने दिरांग में थुपसिंग धाराग्ये बौद्ध मठ का अभिषेक किया. अभिषेक के कार्यक्रम की तस्वीर. दिरांग से लगभग डेढ़ सौ किमी का सड़क मार्ग से सफर करने के बाद दलाई लामा तवांग स्थित भारत के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे नंबर के बौद्ध मठ में पहुंचे.
दलाई लामा लंबे अरसे बाद 79 साल के राइफल मैन नरेन चंद्र दास से गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र महोत्सव के दौरान मिले. 1959 में तिब्बत से सीमा पार कर अरुणाचल प्रदेश पहुंचे दलाई लामा को दास ने ही सुरक्षा टीम की अगुवाई करते हुए तवांग पहुंचाया था.
दलाई लामा इतने लंबे अरसे बाद दास से मिल कर भावुक और अभिभूत हो गए. उन्होंने दास को गले से लगा लिया और उनके साथ तस्वीरें खिंचवायीं. इससे पहले दलाई लामा भारत में अपने आगमन के 50 साल पूरे होने के मौके पर वर्ष 2009 में आये थे.