1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दलाई लामा को जहर देने का षडयंत्र

१३ मई २०१२

तिब्बतियों के धार्मिक नेता दलाई लामा ने आरोप लगाया है कि चीनी एजेंटों ने उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की है. दलाई लामा तिब्बत की स्वायत्तता के लिए लड़ रहे हैं जबकि चीन उन्हें अलगाववादी कहता है.

https://p.dw.com/p/14uZi
तस्वीर: AP

ब्रिटिश अखबार संडे टेलिग्राफ को दिए गए एक इंटरव्यू में दलाई लामा ने कहा है कि चीनी एजेंटों ने एक तिब्बती महिला को भक्त के भेस में उन्हें जहर देने की ट्रेनिंग दी थी. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने कहा कि उन्हें तिब्बत से इस तरह की रिपोर्ट मिली थी कि कुछ चीनी एजेंट उन्हें मारने के लिए तिब्बती महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं.

ब्रिटेन का दौरा कर रहे तिब्बती धर्मगुरु ने कहा, "हमें तिब्बत से कुछ सूचना मिली थी. चीनी एजेंट कुछ तिब्बतियों को, खासकर महिलाओं को जहर के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दे रहे थे. उनके बाल या स्कार्फ जहरीले हो सकते थे. उनकी कोशिश थी कि वह मेरा आशिर्वाद लें और मेरा हाथ छू सकें. " दलाई लामा ने कहा कि वे भारतीय सुरक्षा अधिकारियों की सलाह पर धर्मशाला में उच्च सुरक्षा घेरे में रहते हैं.

76 वर्षीय तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि उनकी मौत के बाद उनके अवतार को खोजने में चीनी हस्तक्षेप का मतलब है कि वे अंतिम दलाई लामा हो सकते हैं और तिब्बती उनके बाद इस संस्था को समाप्त करने का फैसला ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि करमापा लामा सहित बहुत से युवा बौद्ध भिक्षु हैं जो तिब्बती बौद्ध समुदाय के आध्यात्मिक नेता बन सकते हैं.

दलाई लामा के दफ्तर ने भी आईएएएस समाचार एजेंसी को उनके जान के लिए खतरे की आशंका की पुष्टि की है. भारतीय पुलिस का कहना है कि वह संभावित खतरों को ध्यान में रखकर नियमित अंतराल पर दलाई लामा की सुरक्षा की समीक्षा करते हैं. चीन की कम्युनिस्ट सरकार के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद दलाई लामा का मानना है कि बीजिंग उनके जीते जी अपनी कड़ा रुख त्याग देगा और अपने आर्थिक विकास की दर को जारी रखने के लिए लोकतांत्रिक सुधार करेगा.

चीन ने 1959 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद दलाई लामा अपने समर्थकों के साथ वहां से भाग गए थे और उन्होंने भारत में शरण ली थी. तिब्बत की निर्वासन सरकार भारत के धर्मशाला में स्थित है, लेकिन उसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. भारत में 35 बस्तियों में एक लाख से ज्यादा तिब्बती शरणार्थी रहते हैं.

एमजे/एएम (डीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी