'दिल्ली पुलिस ने 84 दंगों की दिखावटी जांच की'
२७ अगस्त २०१०सीबीआई के मुताबिक दिल्ली पुलिस के ऐसे व्यवहार की वजह कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को बचाना हो सकती है. एक हलफनामा दाखिल कर जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि 13 अगस्त को दिया गया स्टे ऑर्डर वापस ले लिया जाए क्योंकि इससे कांग्रेस नेता के खिलाफ जांच पर गंभीर असर पड़ रहा है.
जस्टिस पी सतशिवम और बीएस चौहान की बेंच ने हलफनामे को रिकॉर्ड पर ले लिया है. इसके लिए आखरी सुनवाई 7 सितंबर को होनी है. अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा है, "ट्रायल के दौरान ही इस बात का भी पता चल पाएगा कि अपीलकर्ता (सज्जन कुमार) ने जांच की देरी में कोई भूमिका निभाई या नहीं. लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि एक ही एफआईआर के तहत कई मौतों की 24 शिकायतों की जांच की गई. दिखावटी जांच और झूठे आरोपों के कारण पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया."
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस की दंगा रोधी शाखा की उस स्टेटस रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए हैं जो 31 जुलाई 2008 को दायर की गई, क्योंकि उस वक्त सीबीआई मामले की जांच कर रही थी. जांच एजेंसी ने कहा है, "जब भारत सरकार ने पूरा केस दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था, तो दिल्ली पुलिस के लिए ऐसा करने का कोई मतलब ही नहीं था."
सीबीआई ने सज्जन कुमार पर ट्रायल को जानबूझ कर खींचने का आरोप लगाया है और उसका कहना है कि हाल ही में दिया गया स्टे भी उसी कोशिश का एक हिस्सा है. हलफनामे में एजेंसी ने कहा है कि अब जो अपील दायर की गई है, उसका मकसद भी यही है. सज्जन कुमार पर 15 मई 2010 को नए आरोप लगाए गए हैं और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को दो हफ्ते के लिए ट्रायल पर स्टे दे दिया. सीबीआई का कहना है कि नए आरोप जायज हैं या नहीं इसका पता भी जांच के दौरान ही चल पाएगा.
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः आभा एम