दिल्ली में महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं
१० जुलाई २०१०सर्वे में कहा गया है कि दिल्ली में पिछले साल औसतन तीन में से दो महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ. इसका सबसे ज्यादा शिकार छात्राएं और गैर संगठित मजदूर वर्ग की कामकाजी महिलाएं बनीं. दिल्ली को आईना दिखाने वाला यह सर्वे दिल्ली सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों और एक एनजीओ ने किया. सर्वे में 5,010 महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया.
सर्वे में कहा गया है कि, ''देश की राजधानी में महिलाएं कई सार्वजनिक जगहों पर असुरक्षित महसूस करती हैं. हर वक्त, चाहे वह दिन हो या रात.'' सार्वजनिक परिवहन, बसों और सड़कों के किनारे महिलाएं यौन दुर्व्यवहार का सबसे ज्यादा शिकार होती हैं. कई महिलाओं का कहना है कि मेट्रो रेल भी अब उनके लिए पहले जैसी सुरक्षित नहीं रही. भीड़ की वजह से मेट्रो में भी यौन बदसलूकी के मामले बढ़ रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर मामलों में पुरुष फब्तियां कसते हैं. घूरने और आंखों से भद्दे इशारे भी आए दिन महिलाओं को झेलने पड़ते हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाली महिलाओं का कहना है कि अक्सर पुरुष उन्हें जबरदस्ती छूते हैं या सटने की कोशिश करते हैं.
कामकाजी महिलाएं इन दुश्वारियों को किसी तरह झेल लेती हैं लेकिन इसका सबसे खराब असर 15 से 19 साल की लड़कियों पर पड़ता है. सर्वे में कहा गया है कि यौन दुर्व्यवहार का सामना करने वाली कम उम्र की लड़कियों को मनोवैज्ञानिक रूप से गहरी ठेस लगती है.
दिल्ली में महिलाओं को असुरक्षित महसूस कराने के लिए कई अन्य कारणों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक स्ट्रीट लाइटों की कमी, सार्वजनिक शौचालयों की कमी और सुनसान रास्तों से भी महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ती हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़