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आस्था

दुनिया का सबसे बड़ा मेला शुरु, दस करोड़ के आने की उम्मीद

समीरात्मज मिश्र
१५ जनवरी २०१९

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में डेढ़ महीने तक चलने वाले कुंभ मेले की आज से शुरूआत हो गई है. दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन कहे जाने वाले इस कुंभ में 15 जनवरी को पहला शाही स्नान है और मेला चार मार्च तक चलेगा.

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Devotees take a holy dip at Sangam, the confluence of the Ganges, Yamuna and Saraswati rivers, during "Kumbh Mela", or the Pitcher Festival, in Prayagraj
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

सुबह से ही अखाड़ों के साधु-संतों के शाही स्नान के अलावा तमाम श्रद्धालु भी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम में डुबकी लगा रहे हैं. शाही स्नान को देखते हुए प्रयागराज जिले के सभी स्कूल-कॉलेज तीन दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं.

माना जा रहा है कि 49 दिनों तक चलने वाले इस बार के कुंभ मेले में करीब 13 से 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है जिसमें करीब 10 लाख विदेशी नागरिक भी शामिल होंगे. उत्तर प्रदेश सरकार कुंभ 2019 को अब तक का सबसे भव्य कुंभ बता रही है और सरकार ने इसकी खूब ब्रांडिंग भी की है. करीब नौ महीने पहले यूनेस्को ने कुंभ मेले को सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया था.

Indien, Prayagraj: Feier des Kumbh Mela
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

मेले के लिए व्यापक प्रचार

राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने अन्य राज्यों में खुद जाकर राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और वहां के लोगों को कुंभ में आने के लिए आमंत्रित किया है. इससे पहले, 71 देशों के राजनयिकों को कुंभ की तैयारियों को दिखाने के लिए भी मेला क्षेत्र में बुलाया गया था. इसके अलावा सरकार ने 10 करोड़ लोगों के मोबाइल पर संदेश भेजकर उन्हें कुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया है.

मेला के प्रशासनिक अधिकारी यानी जिलाधिकारी विजय किरण आनंद के मुताबिक पहली बार मेला क्षेत्र करीब 45 वर्ग किमी के दायरे में फैला है, पहले यह सिर्फ 20 वर्ग किमी इलाके में ही होता था. उन्होंने बताया, "मेले में 50 करोड़ की लागत से 4 टेंट सिटी बसाई गई हैं, जिनके नाम कल्प वृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट सिटी और इन्द्रप्रस्थम सिटी हैं”

कुंभ के दौरान प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा तंबुओं का अस्थायी शहर बस जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुंभ के आयोजन पर करीब चार हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. इस बार कुंभ की थीम- स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ है.

BdTD Bild des Tages Deutsch Kumbh Mela-Festival Indien
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

अखाड़ों को विशेष सुविधा

कुंभ मेले में साधु-संतों के संगठनों को अखाड़ा कहा जाता है. कुल 13 अखाड़े होते हैं और शाही स्नान के दौरान हर अखाड़े का समय प्रशासन की ओर से तय किया जाता है. 15 जनवरी को पहले शाही स्नान की शुरुआत सुबह 5 बजकर 15 मिनट से हुई और हर अखाड़े को स्नान के लिए 45 मिनट का समय दिया गया है.

कुंभ के दौरान अखाड़ों में साधु संतों को महामंडलेश्वर, महंत, श्रीमहंत जैसी उपाधियां दिए जाने की भी परंपरा रही है और कुंभ में ही अखाड़े में नागा साधु भी बनाए जाते हैं. सोमवार को केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को निरंजनी पंचायती अखाड़े ने महामंडलेश्वर की उपाधि दी और यह पहला मौका है जब किसी केंद्रीय मंत्री को अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर बनाया गया.

भारत में कुल चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक. इनमें से हर स्थान पर बारहवें साल कुंभ होता है. प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह साल के अंतराल पर अर्धकुंभ भी होता है लेकिन इस बार सरकार ने इनके नाम बदलकर कुंभ और महाकुंभ कर दिए. सरकार के इस कदम का तमाम शास्त्रीय विशेषज्ञों ने भी विरोध भी किया है.

BdTD Indien - Kumbh Mela Festival in Allahabad
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia

सदियों पुराना इतिहास

प्रयाग कुंभ का लिखित इतिहास सबसे पहले गुप्त काल में मिलता है जब सातवीं शताब्दी में ह्वेनसांग ने इसका जिक्र किया था. ह्वेनसांग 617 से 647 ईसवी तक भारत में रहे थे और उन्होंने अपने संस्मरण में लिखा है कि प्रयाग में राजा हर्षवर्धन अपना सब कुछ दान कर राजधानी लौट जाते हैं.

मेले के आयोजन में राज्य सरकार के तमाम विभाग लगे हुए हैं. सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता करने के लिए 20 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. प्रशासनिक दृष्टि से चार पुलिस लाइन समेत 40 पुलिस थाने, तीन महिला थाने और 62 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं. इसके अलावा पहली बार कुंभ में 2 इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड एंड सेंटर बनाए गए हैं जो मेला क्षेत्र में आने वाली भीड़ और ट्रैफिक को नियंत्रित करने और सुरक्षित बनाने का काम करेंगे.

कुंभ मेले के दौरान तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और देश-विदेश से आने वाली तमाम संस्थाएं भी अपने शिविर यहां लगाती हैं.