दुनिया में खूब पैदा हो रहे हैं जुड़वां बच्चे
१२ मार्च २०२१संसार में लगभग हर 40 में एक बच्चा जुड़वां बच्चे के रूप में पैदा हो रहा है. पहले के मुकाबले यह संख्या बहुत ज्यादा है. डॉक्टरों की मदद से होने वाली बच्चों की पैदाइश को इसके लिए सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है. साइंस जर्नल ह्यूमन रिप्रोडक्शन में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल 16 लाख जुड़वां बच्चे पैदा हो रहे हैं.
रिसर्च में शामिल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिश्टियान मोंडेन का कहना है, "जुड़वां बच्चों की तुलनात्मक और विशुद्ध संख्या दुनिया में बीसवीं सदी के मध्य के बाद अब सबसे ज्यादा है और यह सर्वकालिक रूप से सबसे ज्यादा रहने की उम्मीद है."
विकसित देशों में 1970 के दशक से प्रजनन में मदद करने वाली तकनीक यानी एआरटी का उदय हुआ. इसके बाद से इसने जुड़वां बच्चों के जन्म के मामलों में बड़ा योगदान दिया है. अब बहुत सी महिलाएं ज्यादा उम्र में मां बन रही हैं और फिर उनके जुड़वां बच्चे होने के आसार बढ़ जाते हैं. गर्भनिरोधक का इस्तेमाल बढ़ गया है, महिलाएं अपना परिवार ज्यादा उम्र में अकेले रहने के बाद शुरू कर रही हैं और इसके साथ ही कुल मिला फर्टिलिटी रेट में आई गिरावट को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया है.
अफ्रीका अव्वल
रिसर्चरों ने इसके लिए 135 देशों से साल 2010-2015 के बीच के आंकड़े जुटाए. जुड़वां बच्चों के पैदा होने की दर सबसे ज्यादा अफ्रीका में है. हालांकि रिसर्चरों ने इसके लिए अफ्रीका महाद्वीप और बाकी दुनिया के बीच जेनेटिक फर्क को इसके लिए जिम्मेदार माना है. एक रिसर्चर ने बताया कि संसार के गरीब देशों में जुड़वां बच्चों की संख्या बढ़ने से चिंता भी है.
मोंडेन का कहना है, "जुड़वां बच्चों की पैदाइश के साथ शिशुओं और बच्चों की मौत की उच्च दर भी जुड़ी है साथ ही महिलाओं और बच्चों में गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद ज्यादा जटिलता भी होती है." रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक जरोएन स्मिट्स का कहना है, "कम और मध्यम आय वाले देशों में जुड़वां बच्चों पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है. सब सहारा अफ्रीका में तो खासतौर से बहुत सारे बच्चे अपने जुड़वां को जीवन के पहले साल में ही खो देते हैं, हमारी रिसर्च के मुताबिक यह संख्या हर साल 2-3 लाख तक है."
रिसर्चरों का कहना है कि जुड़वां बच्चों की संख्या में इजाफा मुख्य रूप से "फ्रैटर्नल ट्विंस" यानी उन बच्चों में हो रही है जो दो अलग निषेचित अंडाणुओं से पैदा होते हैं. आडेंटिकल ट्विंस जिन्हें मोनोजाइगट भी कहा जाता है उनकी संख्या लगभग वही है यानी एक हजार बच्चों में एक.
एनआर/एके(एएफपी)