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देशद्रोह में बिनायक सेन को उम्रकैद

२४ दिसम्बर २०१०

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डॉ बिनायक सेन को रायपुर अदालत ने देशद्रोह और विश्वासघात का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. डॉ सेन, नक्सली नेता नारायण सान्याल और व्यापारी पीयूष गुहा पर माओवादियों की मदद का आरोप साबित.

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तस्वीर: AP

58 वर्षीय डॉ बिनायक सेन पर अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि नारायण सान्याल के संदेश और खत वह भूमिगत माओवादियों तक पहुंचा रहे हैं. पीयूष गुहा को भी माओवादी तंत्र को स्थापित करने में मदद का दोषी पाया गया है. डॉ बिनायक सेन को 14 मई 2007 को बिलासपुर से गिरफ्तार किया गया था. अदालत में डॉ सेन के साथ नारायण सान्याल और पीयूष गुहा भी मौजूद थे.

देशद्रोह के आरोप में डॉ सेन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. छत्तीसगढ़ पुलिस का दावा था कि शहरी इलाकों में माओवादी अपने पैर पसारना चाह रहे हैं और उन्हें इस काम में डॉ सेन की मदद मिल रही है. बिनायक सेन को पिछले साल जमानत पर छोड़ा गया था. उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है.

2007 में गिरफ्तारी के बाद डॉ सेन ने कहा, "मैंने कभी माओवादी हिंसा का समर्थन नहीं किया. यह गलत है और लंबे समय तक चलने वाला आंदोलन नहीं है." नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने बिनायक सेन पर लगे आरोपों का विरोध किया है. उनके वकीलों ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है.

डॉ सेन को दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी पत्नी एलिना सेन ने कहा, "जो भी कानूनी रास्ता हमारे पास है हम उसका सहारा लेंगे. इसमें कुछ दिन लगेंगे क्योंकि बड़ी अदालतों में छुट्टियां चल रही हैं. यह ऐसा फैसला है जिससे मैं बिलकुल सहमत नहीं हो सकती. इस आरोप को साबित करने के समर्थन में एक भी सबूत नहीं दिया गया."

बाल रोग विशेषज्ञ बिनायक सेन ने सीएमसी, वेल्लोर से पढ़ाई की और उन्होंने लंबा समय गरीब इलाकों में स्वास्थ्य सेवा पर बिताया. वह पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज के महासचिव थे और नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे थे. छत्तीसगढ़ में विवादास्पद सल्वा जड़ूम कार्यक्रम में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर ध्यान उन्होंने हीं खींचा था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार

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