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देह व्यापार का शिकार बनती जिंदगियां

१२ सितम्बर २०१२

चौदह साल की परवीन भारत से बांग्लादेश लौटी तो स्कूल में दाखिला ले कर एक बार फिर पढ़ना लिखना चाहती थी. पर ऐसा हो न सका. साथियों के तानों से तंग आ कर उसे स्कूल छोड़ देना पडा.

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तस्वीर: picture-alliance/Maximilian Norz picture-alliance/Maximilian Norz

परवीन तीन साल गायब रहने के बाद स्कूल पहुंची. तीन साल पहले उसे बहला फुसला कर भारत ले जाया गया और देह व्यापार में झोंक दिया गया. परवीन उसका असली नाम नहीं है. वह बताती है, "वे मुझे गाली देते हैं कि मैं तीन साल पहले गायब हो गयी थी. मैं दहशत में जी रही हूं."

बंगलादेश से भारत

परवीन बांग्लादेश के जेसोर की रहने वाली है. एक दिन एक महिला ने उसे सतखिरा घुमाने की बात कही और उसने घर वालों से पूछे बिना ही उसकी बात मान ली. सतखिरा भारत और बांग्लादेश की सीमा पर है. यहां से सीमा पार कर उसे कोलकाता में लाया गया. छोटे से गांव की रहने वाली परवीन एक बड़ा शहर देख कर काफी उत्साहित थी, लेकिन वह नहीं जानती थी कि उसके साथ क्या होने वाला है.

परवीन बताती है, "वहां ट्रेन में चढ़ने से पहले मुझे एक इंजेक्शन दिया गया और उसके बाद का मुझे कुछ भी याद नहीं." तीन दीन बाद जब उसे होश आया तो वह पुणे में थी. यहां उस जैसी और भी कई लडकियां थीं जिन्हें जबरन देह व्यापार का हिस्सा बनाया जा रहा था. एक हफ्ते में ही परवीन वहां से भागने में सफल रही और पुलिस के पास पहुंच गयी. पुलिस ने उसे एक शिविर में भेज दिया. "मैं आठ महीने एक आश्रम में रही. उसके बाद मुझे कोलकाता भेज दिया गया. वहां 19 महीनों तक मैं एक और आश्रम में रही. आश्रम वालों ने जेसोर में एक गैर सरकारी संगठन राइट्स जेसोर से संपर्क किया जो ऐसी लड़कियों की मदद करता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

लोगों के ताने

संगठन ने परवीन की मां को खबर दी और वह फौरन अपनी बेटी को घर ले जाने वहां आ गई. वह बताती हैं, "मैं बहुत खुश थी कि मेरी इकलौती संतान लौट आई है. लेकिन अब हालात बर्दाश्त के बाहर चले गए हैं और हर रोज हमें लोगों की गालियां सुननी पड़ती हैं."

अब वह अपनी बेटी को ढ़ाका भेजना चाहती हैं ताकि वह लोगों के तानों से दूर जा सके. "मुझे लगा था कि वह स्कूल जाएगी, पढ़ लिख लेगी, लेकिन अब यह नामुमकिन लगता है क्योंकि उसके दोस्त और सहपाठी उसे बुरी नजरों से देखते हैं." परवीन की मां का कहना है कि वह अक्सर अपनी जान लेने की बात करती है.

यह कहानी केवल परवीन की नहीं, बल्कि उस जैसी हजारों लड़कियों की है. आंकड़ें बताते हैं कि पिछले पांच सालों में बांग्लादेश से करीब पांच लाख बच्चियों को देह व्यापार के लिए भारत लाया गया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जेब में कानून

संयुक्त राष्ट्र ने भी माना है कि बांग्लादेश से बच्चियों को भारत और पाकिस्तान में बेचा जाता है और इसके लिए स्थानीय प्रशासन और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है. इस समस्या से निपटने के लिए इस साल फरवरी में बांग्लादेश सरकार ने एंटी ट्रैफिकिंग कानून बनाया जिसके तहत मुजरिमों को मौत की सजा भी हो सकती है. पकड़े जाने पर कम से कम सजा पांच साल जेल और जुर्माना है. हालांकि बच्चियों का सौदा करने वालों में इस कानून का कोई डर नहीं दिखता.

परवीन उम्मीद कर रही है कि ढ़ाका जा कर वह राइट्स जेसोर के चलाए अभियान का फायदा उठा सकेगी और अपने लिए एक अच्छी नौकरी भी ढूंढ सकेगी. छोटी सी उम्र में उसे जिस नर्क से गुजरना पड़ा है, उस सब ने उसमें जीने की उम्मीद कम तो कर ही दी है. निराश स्वर में वह कहती है, "एक लड़की जब अपनी इज्जत खो देती है, तो वह सब कुछ खो देती है."

आईबी/एनआर (डीपीए)

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