जबरन शादी तक कराई जाती थी शेल्टर होम्स में!
२१ नवम्बर २०१८बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने भी मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया लेकिन शेल्टर होम में रह रही लड़कियों के साथ शोषण नित नए खुलासे हो रहे हैं.
देवरिया में हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम यानी एसआईटी ने कोर्ट के सामने जो चार्जशीट पेश की है उसमें लड़कियों के साथ होने वाले यौन शोषण के अलावा उनकी जबरन शादी कराने तक के आरोप हैं.
देवरिया के मां विंध्यवासिनी शेल्टर होम से इसी साल अगस्त महीने में छापेमारी के बाद जिन लड़कियों को वहां से मुक्त कराया गया था उनमें से कम से कम नौ लड़कियों की शादी बिना उनकी मर्जी के बुजुर्ग और अपंग लोगों से कराई गई. ये शादियां राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत कराई गईं जिसके लिए सरकारी फंड से पैसा लिया गया.
शेल्टर होम की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने गिरफ्तारी से पहले खुद भी स्वीकार किया था कि वो वयस्क हो चुकी लड़कियों की शादियां भी कराती थीं लेकिन जानकारों के मुताबिक एसआईटी ने जांच में पाया है कि गिरिजा त्रिपाठी इन शादियों के लिए पैसे लेती थीं और सरकार की सामूहिक विवाह योजना का उन्होंने दुरुपयोग किया है. बताया जा रहा है कि एसआईटी ने चार्जशीट में इन सब बातों का जिक्र किया है.
राज्य सरकार की यह योजना योग्य और अविवाहित लोगों के लिए है लेकिन बताया जा रहा है कि शेल्टर होम की कुछ लड़कियों की शादी ऐसे पुरुषों से कराई गई जो पहले से ही विवाहित थे.
देवरिया शेल्टर होम में तमाम तरह की अनियमितताओं और कथित तौर पर अनैतिक काम होने के आरोप में शेल्टर होम की संचालक गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति और उनकी बेटी पहले ही गिरफ्तार की जा चुकी हैं.
बताया जा रहा है कि मामले की जांच में जुटी पुलिस के संज्ञान में ऐसी बातें भी सामने आई हैं कि बालिका संरक्षण गृह में रहने वाली लड़कियों को पहले ड्रग्स और नशीली दवाएं दी जाती थीं और उसके बाद उन्हें कथित तौर पर रसूखदार लोगों के पास भेजा जाता था. कुछ ऐसी ही बातें गत छह अगस्त को संरक्षण गृह में रहने वाली एक लड़की ने भी वहां से भागने के बाद मीडिया को बताई थी.
करीब तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में बालिका संरक्षण गृह में कथित तौर पर देह व्यापार कराने का मामला सामने आया था. घटना के बाद पुलिस ने संरक्षण गृह से बाहर मुक्त कराई गई लड़कियों से बयान लिए थे. इस जानकारी के सार्वजनिक होने के बाद देश भर में हड़कंप मच गया क्योंकि इससे कुछ दिन पहले ही बिहार के मुजफ्फरपुर में भी इसी तरह के संरक्षण गृह की करतूत सामने आई थी जहां रहने वाली लड़कियों से कथित तौर पर देह व्यापार कराया जाता था.
देवरिया का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने रातों रात संरक्षण गृह पर छापा मारा जिसमें वहां रह रही 42 में से 18 लड़कियां गायब मिलीं. पुलिस ने 24 लड़कियों को मुक्त कराते हुए संचालिका और उसके पति समेत 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.
मामले की जांच के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर एसआईटी ने 10 अगस्त से इसकी जांच शुरू की. एसआईटी ने शेल्टर होम की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी समेत कई अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन उनका बेटा अभी तक फरार चल रहा था.
गत दो नवंबर को एसआईटी ने इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी लेकिन चार्जशीट में एक तरह से अभियुक्तों को यौन शोषण और पॉक्सो एक्ट की धाराओं से बरी करके क्लीन चिट दे दी गई थी. कोर्ट ने एसआईटी की इस चार्जशीट को लेने से इनकार करते हुए जम कर फटकार भी लगाई. बाद में चार्जशीट में ये धाराएं बढ़ाई गईं.
देवरिया के शेल्टर होम में जब छापे की कार्रवाई की गई तो शासन के स्तर पर ऐसी खामियां सामने आईं जिन्होंने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. शेल्टर होम का लाइसेंस निरस्त होने के बावजूद पुलिस की ओर से संरक्षण गृह में लड़कियां पहुंचाई जाती थीं और संस्था को तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से अनुदान भी मिल रहा था.
मामले के सामने आने के बाद राज्य भर के शेल्टर होम्स की स्थिति और उनके क्रिया कलापों की जांच के आदेश दिए गए, सभी शेल्टर होम में सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था करने को कहा गया और तमाम तरह की कड़े नियम बनाए गए और उनका तुरंत अनुपालन करने को कहा गया. लेकिन स्थिति आज भी लगभग वही है जैसी कि तीन महीने पहले.
वहीं दूसरी ओर, बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में अभियुक्त रहीं मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति की गिरफतारी की तमाम कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं. यहां तक कि पटना उच्च न्यायालय के जज को ये तक कहना पड़ गया मंजू वर्मा की गिरफ्तारी पुलिस क्यों नहीं कर पा रही है?
आखिरकार मंजू वर्मा ने खुद मंगलवार को नाटकीय ढंग से कोर्ट में सरेंडर कर दिया. मंजू वर्म उस समय महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं जब मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की ये घटना सामने आई थी.