दो दशकों में बना इस्राएल भारत का अहम साथी
९ जनवरी २०१२विदेश मंत्री एसएम कृष्णा इस्राएली विदेश मंत्री अविग्डोर लीबरमन के साथ बातचीत करने के अलावा राष्ट्रपति शिमोन पेरेस और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से मिलेंगे. इस्राएल में भारतीय राजदूत नवतेज सरना ने इस्राएल को भारत का महत्वपूर्ण सहयोगी करार दिया है.
दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली वार्ता में रक्षा सहयोग के अलावा कृषि तथा विज्ञान व तकीनीकी के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा होगी. भारत रक्षा सहयोग में विस्तार करना चाहता है. दोनों देश आतंकवाद विरोधी संघर्, में 2008 के मुंबई हमलों के बाद शुरू हुए सहयोग को और बढ़ाना चाहते हैं. उस हमले में 6 इस्राएली नागरिक मारे गए थे.
दशकों की गुट निरपेक्षता और अरब समर्थक नीतियों के बाद भारत ने शीत युद्ध समाप्त होने पर इस्राएल के साथ 1992 में ही राजनयिक संबंधों की स्थापना की है, लेकिन पिछले दो दशकों में तेल अवीव और नई दिल्ली के रिश्ते तेजी से बढ़े हैं. खास कर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी संघर्ष के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का सहयोग हो रहा है.
भारत और इस्राएल के रिश्तों को निकट लाने का काम एचडी देवेगौड़ा की सरकार के समय शुरू हुआ जिसे अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने और गहरा बनाया. 1997 में एजर वाइजमन भारत जाने वाले पहले इस्राएली राष्ट्रपति बने. इस दौरे पर देवेगौड़ा सरकार के साथ मिसाइलों की खरीद का समझौता हुआ. जसवंत सिंह 2000 में इस्राएल जाने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री थे, जबकि इस्राएली प्रधानमंत्री आरिएल शरोन 2003 में भारत जाने वाले पहले इस्राएली प्रधानमंत्री बने.
इस्राएल में भारत के राजदूत नवतेज सरना कहते हैं, "कई क्षेत्र हैं जिनमें भारत और इस्राएल मिल कर काम कर रहे हैं और करेंगे. और जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस समय दोनों देश काउंटर टेररिज्म, सैनिक सहयोग, कृषि, पानी और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं."
1992 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के समय दोनों देशों के बीच 20 करोड़ डॉलर का कारोबार होता था. पिछले साल दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ 5 अरब डॉलर का कारोबार किया. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच 9 अरब डॉलर का पारस्परिक सुरक्षा व्यापार हुआ है और इसमें तेजी से वृद्धि हो रही है. इस बीच भारत इस्राएल के सैनिक साजो सामान का सबसे बड़ा ग्राहक है. इस्राएली बिक्री का आधा से अधिक भारत जाता है.
इस्राएल के साथ रिश्तों में सुरक्षा संबंधों की महत्वपूर्ण भूमिका है. पिछले सालों में तेल अवीव रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा सप्लायर हो गया है. खरीद बिक्री के रिश्तों से बाहर निकल कर दोनों देश अब रक्षा मामलों में साझा रिसर्च और विकास पर ध्यान दे रहे हैं.
दोनों देश मुक्त व्यापार समझौता करने पर भी बातचीत कर रहे हैं. अधिकारियों को उम्मीद है कि यह समझौता हो जाने के बाद आपसी कारोबार में और तेजी आएगी. सरना का कहना है, हम कई देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं जो हमारी जनता की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा और विकास दर को जारी रखने या और तेज करने में योगदान देगा.
भारतीय राजदूत कहते हैं, उस हिसाब से इस्राएल एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, हमारे लिए शानदार तकनीक का स्रोत है.
रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा
संपादन: ए जमाल