दो सूर्यों वाला एक ग्रह मिला
१७ सितम्बर २०११नासा की केपलर दूरबीन ने इस ग्रह को खोजा है. पृथ्वी से इसकी दूरी 200 प्रकाश वर्ष है. यह पहला मौका है जब दो सूर्यों वाला कोई ग्रह मिला है. केपलर अभियान के प्रमुख खोजकर्ता विलियम बॉरुकी ने कहा, "यह नए श्रेणी के खोगलीय मंडल की खोज है जो हमारे काम आ सकती है. हमारी आकाशगंगा के ज्यादातर तारे बाइनरी सिस्टम में हैं.''
दो सूर्य होने का अर्थ है कि दिन खत्म होने पर केपलर 16बी में दो बार सूर्यास्त होता होगा. केपलर 16बी के पास मौजूद बड़ा सूरज हमारे सूर्य का 69 फीसदी है. छोटा सूर्य सिर्फ 20 फीसदी है. इसकी वजह है ग्रह का तापमान भी -73 से -101 डिग्री सेल्सियस के बीच है. इतनी ठंड में वहां इंसान के जीवन के लिए संभावनाएं नहीं हैं. ग्रह चट्टानों और गैसों से भरा हुआ है. केपलर 16बी 229 दिन में अपने दोनों सूर्यों की परिक्रमा पूरी करता है.
अध्ययन से पता चला है कि जिन तारों की चमक फीकी दिखाई पड़ती है उनमें से कुछ किसी विशाल तारे के करीब होते हैं. यही वजह है कि उनका प्रकाश मंद दिखाई पड़ता है. दूरबीन की मदद से वैज्ञानिकों ने एक लाख 50 हजार तारों के प्रकाश के फीके पड़ने की घटना का अध्ययन किया. पता चला कि कुछ तारे इस वजह से टिमटिमाते हैं क्योंकि वह बड़ी तेजी से बड़े तारों के आस पास घूमते हैं. बड़े तारे के आभामंडल से बाहर आने पर उनकी चमक बढ़ जाती है और बड़े तारे के साये में आकर उनका प्रकाश मंद प्रतीत होता है. इस बारे में पूरी रिपोर्ट जनरल साइंस पत्रिका ने छापी है.
केपलर दूरबीन 2009 में छोड़ी गई थी. दूरबीन अंतरिक्ष में पृथ्वी के बराबर आकार वाले या धरती जैसे दिखाई पड़ने वाले ग्रहों की खोज कर रही है. कैपलर की मदद से धरती के करीब किसी ऐसे ग्रह को खोजने की कोशिश की जा रही है जिसकी सतह पर पानी हो.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: वी कुमार