धर्म विरोधी प्रदर्शनों से जर्मनी चिंतित
१४ दिसम्बर २०१४हाल के महीनों में जर्मनी में इस तरह की धुर दक्षिणपंथी रैलियों की तादाद बढ़ने लगी है. इनमें नवनाजी भी शामिल हैं और इन्हें यूरो विरोधी एएफडी पार्टी का समर्थन हासिल है. पिछले हफ्ते तो सोमवार को ड्रेसडेन शहर में "पश्चिम के इस्लामीकरण के खिलाफ यूरोप के राष्ट्रभक्त" (पेगीडा) की एक रैली में 10,000 से ज्यादा लोग जमा हो गए. हालांकि इसका विरोध करने के लिए भी लगभग इतने ही लोग जमा हुए.
बर्लिन फ्री यूनिवर्सिटी के हायो फुंके का कहना है कि उनके नाम से ही जाहिर है कि वे दक्षिणपंथ के हैं और नाजी विचारधारा को समर्थन दे रहे हैं, "यह विद्वेष को बढ़ावा और अपना दुश्मन खुद बनाने वाली बात है. यह उस वक्त खतरनाक बन जाता है, जब यह हिंसक हो उठे और भीड़ इसमें शामिल होने लगे." अक्टूबर में शुरू हुआ पेगीडा की देखा देखी जर्मनी के दूसरे हिस्सों में भी इस तरह के ग्रुप बनने लगे हैं. जर्मनी के इतिहास को देखते हुए राष्ट्र के लिए यह मामला अति संवेदनशील हो जाता है.
बढ़ते शरणार्थी
हाल के दिनों में जर्मनी में राजनीतिक शरण मांगने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इन्हें रखने के लिए कभी खाली स्कूलों, कभी ऑफिस परिसरों तो कभी कंटेनर की बस्तियों का सहारा लेना पड़ रहा है. इसी क्रम में बवेरिया प्रांत के फोरा शहर में तीन ऐसे घरों में आग लगा दी गई, जहां शरणार्थियों को रहने की जगह दी जाने वाली थी. इन इमारतों में बाद में नाजीवाद के स्वस्तिक निशान भी मिले.
जर्मनी में इस साल राजनीतिक शरण के लिए 1,80,000 आवेदन मिले हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 57 फीसदी ज्यादा है. इनमें से ज्यादातर आवेदन इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, इरीट्रिया और सोमालिया जैसे देशों के लोगों के हैं.
जानकारों का कहना है कि पेगीडा एक नए तरह का चरित्र है, जो फ्रांस, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया और ग्रीस जैसे देशों के विदेशी विरोधी संगठनों की तरह लगता है. इनकी रैलियों में शामिल लोग संभ्रांत दिखते हैं, जिन्हें प्रवासियों से खतरा लगता है. प्रदर्शन का शहर यानि सैक्सनी प्रांत का ड्रेसडेन पूर्वी जर्मनी में है जहां नवनाजीवादी सक्रिय रहे हैं. यहीं यूरोप विरोधी एएफडी पार्टी ने तीन जगहों पर चुनाव में जीत हासिल की है.
मैर्केल ने की निंदा
इस बीच जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस तरह की रैलियों की निंदा की है और कहा है कि जर्मनी में मुस्लिमों या किसी दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ नफरत के लिए कोई जगह नहीं है. उनकी प्रवक्ता क्रिस्टियाने विर्त्स ने कहा, "सरकार और चांसलर की तरफ से मैं साफ करना चाहती हूं कि जर्मनी में किसी भी तरह के धार्मिक नफरत के लिए जगह नहीं है, चाहे वह किसी भी धर्म के खिलाफ क्यों न हो."
उधर, जर्मनी के विदेश मंत्री थोमस दे मेजियेर ने भरोसा दिलाया है कि जर्मनी में इस्लामीकरण का कोई खतरा नहीं है, खास तौर पर सैक्सनी में. इस प्रांत में सिर्फ 2.2 प्रतिशत विदेशी मूल के लोग रहते हैं. न्याय मंत्री हाइको मास कहते हैं कि हम उस वक्त चुप नहीं रह सकते, जब कोई व्यक्ति अपना सब कुछ लुटा चुकने के बाद हमारे पास मदद की उम्मीद लेकर आता है, "हम इस बात को साफ कर देना चाहते हैं कि ये प्रदर्शन बहुसंख्यकों का प्रतिनिधित्व नहीं करते."
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने देश को कट्टरवाद से बचाना चाहते हैं और उन लोगों से दूर रखना चाहते हैं, जो समाज में घुलना मिलना नहीं चाहते. उनका आरोप है कि राजनीति और मीडिया की वजह से उनके राष्ट्र को नुकसान पहुंच रहा है. वे नारे लगाते हैं, "हम जनता हैं". 1989 में भी साम्यवादी पूर्वी जर्मनी के ड्रेसडेन में सोमवार को इसी तरह के नारे लगाए जाते थे. उसी साल पश्चिम और पूर्वी जर्मनी के बीच की बर्लिन दीवार गिरा दी गई थी. पिछले सोमवार को "नाजी के बगैर ड्रेसडेन एलायंस" के भी लगभग 10,000 प्रदर्शनकारी जमा हुए थे.
एजेए/एमजे (एएफपी)