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नई यौगिक धातु से भूकंप का मुकाबला

१ जुलाई २०११

एक सुपर इलास्टिक यौगिक धातु, जो ज्यादा या कम तापमान में भी अपने पुराने रूप में बदल जाता है - जापान के वैज्ञानिकों ने इसे विकसित किया है. उन्हें उम्मीद है कि भूकंप के असर से निपटने के लिए इसका इस्तेमाल हो सकता है.

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तस्वीर: Nippon Connection

साइंस नामक पत्रिका में वैज्ञानिकों ने अपनी इस खोज के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने लौह मिश्रित यौगिक धातु के साथ निकल की थोड़ी सी मात्रा मिला कर इसे तैयार किया है. उन्होंने पाया कि मोड़े जाने के बाद शून्य से नीचे 196 डिग्री सेल्सियस से लेकर 240 डिग्री तक के तापमान में भी यह नई धातु अपने पुराने रूप में लौट आती है.

तोहोकू युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक तोशिहिरो ओमोरी ने कहा है कि यह नई धातु अब तक विकसित सुपर इलास्टिक यौगिक धातु से कहीं ज्यादा लचीला है, जो मायनस 20 डिग्री से 80 डिग्री तक के तापमान में अपने पुराने रूप में लौट आता है. उनकी राय में इस धातु के लचीलेपन पर तापमान का असर न हो पाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर तापमान की वजह से पदार्थ में परिवर्तन होते हैं. इसके अलावा यह कम खर्चीला है, जिसकी वजह से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन संभव है.

ओमोरी ने कहा कि इस यौगिक का इस्तेमाल खासकर उन मामलों में किया जा सकता है, जहां तापमान में काफी परिवर्तन होता है. मिसाल के तौर पर उन्होंने मोटर गाड़ी, हवाई जहाज या अंतरिक्ष यान के पुर्जों का उल्लेख किया.

विज्ञान की जिस शाखा में ऐसी खोज की जाती है, उसे पदार्थ विज्ञान या मेटिरियल साइंस कहते हैं. पिछले तीन दशकों में एशियाई देशों, खासकर चीन में इस शाखा का तेज विकास हुआ है. हर साल इस शाखा में में लगभग 11 लाख अध्ययन प्रकाशित होते हैं. 1981 में इनमें से सिर्फ पचास चीन के होते थे, लेकिन पिछले पांच सालों में इनकी संख्या बढ़कर 55 हजार हो चुकी है. इसी अवधि में अमेरिका के 38 हजार से कुछ अधिक अध्ययन प्रकाशित हुए हैं, लेकिन 1980 के दशक के मुकाबले यह आधी हो चुकी है. यूरोपीय संघ के देशों के अध्ययनों में भी ऐसी ही कमी देखी गई है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ए कुमार

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