नए किस्म की लड़ाई है हाइब्रिड वॉर
१८ मई २०१८पोलैंड की सुरक्षा एजेंसी एबीडब्ल्यू ने दावा किया है कि उसने रूस के दो हाइब्रिड वॉर नेटवर्क्स को खत्म किया है. पोलैंड का आरोप है कि "येकातेरिना सी" नाम की रूसी महिला इन नेटवर्कों से जुड़ी थीं. पोलैंड का आरोप है कि रूस फेक न्यूज और इतिहास को अलग ढंग से पेश कर पोलिश लोगों को यूक्रेन के प्रति भड़का रहा है. पोलैंड के लोग आम तौर पर रूस को पसंद नहीं करते. एबीडब्ल्यू के मुताबिक रूस हाइब्रिड वॉर का सहारा लेकर पोलैंड की जनता के नजरिए को बदलने की कोशिश कर रहा है. वह क्रीमिया के अलगाव को जायज ठहराने में लगा है.
हाइब्रिड वॉर असल में एक छद्म युद्ध है. यह वह सैनिक रणनीति है जिसमें राजनीतिक युद्ध में परंपरागत युद्ध को अनियमित युद्ध, साइबर युद्ध और मनोवैज्ञानिक युद्ध के साथ ब्लेंड किया जाता है. यह लड़ाई सिर्फ हथियारों से नहीं लड़ी जाती, यह जनता की सोच को बदलने में लगी रहती है. हाइब्रिड वॉर के तहत अफवाहें, गलत जानकारियां और फेक न्यूज फैलाई जाती है. लगातार ऐसा करते रहने से आम जनता की सोच बदलने लगती है. इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में ऐसा करना पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान है.
हथियारों और सेना के बल पर होने वाली लड़ाई में जान माल का बहुत नुकसान होता है. ऐसे युद्ध बेहद खर्चीले भी होते हैं. लेकिन हाइब्रिड वॉर इनसे अलग है. यह लगातार आम लोगों की सोच पर चोट करता रहता है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान हिज्बुल्लाह ने एक खास रणनीति का सहारा लिया. हिज्बुल्लाह ने गलत जानकारियों और तथ्यों को अपने हिसाब से पेश कर लोगों की विचारधारा पर असर डाला. तब से ही "हाइब्रिड वॉरफेयर" शब्द सामने आया. अब यह आधुनिक युद्धनीति का हिस्सा बनता जा रहा है. हाइब्रिड वॉर में जनमानस की सोच, साइबर स्पेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मुख्य हथियार हैं.