नवजात का ज्यादा वजन खतरनाक
२१ फ़रवरी २०१३दुनिया भर में आम हो रही मोटापे की समस्या आखिर शुरू कहां से होती है? क्या कोई खास उम्र है जिसमें मोटापे का खतरा सबसे ज्यादा होता है? जर्मन वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआत मां की कोख में भी हो सकती है.
बर्लिन के चैरिटे हॉस्पिटल में वैज्ञानिकों ने 26 देशों के 640,000 मरीजों के आधार पर रिसर्च को 66 श्रेणियों में बांटा. उन्होंने पाया कि जन्म के समय जिन बच्चों का वजन चार किलोग्राम या उससे ज्यादा है उन्हें भविष्य में मोटापे की समस्या होने की ज्यादा संभावना है.
गर्भावस्था के समय कई बातों का सीधा असर पैदा होने वाले बच्चे और उसके आगे के जीवन पर पड़ता है. इसीलिए डॉक्टरों को इस बात पर भी विशेष ध्यान देना होता है कि गर्भवती महिलाएं अत्यधिक खानपान से दूर रहे, कसरत करती रहें और उन्हें डायबिटीज न हो.
हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा
इंदौर की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शुभांगी निरखीवाले मानती हैं कि पिछले कुछ समय में भारत में भी इस तरह के भारी बच्चे पैदा होना ज्यादा आम हो गया है. वह मानती हैं कि हमारी जीवन शैली बहुत आरामदेह होती जा रही है.
वह कहती हैं, "आम तौर बच्चे का अत्यधिक वजन तब भी होता है जब मां को गर्भावस्था के समय डायबिटीज हो जाता है और पैदा होने पर बच्चे को मां का दूध नहीं पिलाया जा पाता. ऐसे में बच्चे को हाइपोग्लाइसीमिया की दिक्कत भी हो सकती है. जिसका मतलब होता है ग्लूकोस की शरीर में बहुत कमी हो जाना." पैदा होने के बाद बच्चे के शरीर में ग्लूकोस की यह कमी मां के दूध से पूरी होती है.
डॉक्टर निरखीवाले बताती हैं मां का गर्भावस्था के समय कसरत नहीं करना भी अच्छी बात नहीं है. उनकी खुराक में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट तो ज्यादा होने ही चाहिए लेकिन शरीर का काम काज में लगा होना या कसरत करना भी बहुत आवश्यक है.
जीन्स का असर
बच्चे के जन्म से पहले ही अगर सावधानी बरती जाए तो भविष्य में वजन से जुड़ी समस्याओं को शुरुआत में ही रोका जा सकता है. इस रिसर्च के अनुसार, यह जरूरी नहीं है कि अगर माता पिता या परिवार में बड़े बूढ़े मोटे हैं तो बच्चा भी मोटा होगा. नवजात शिशु का मोटापा जीन्स की वजह से नहीं होता वह वजन गर्भावस्था के समय मां की देख रेख और खानपान पर निर्भर करता है.
हालांकि डॉक्टर शुभांगी निरखीवाले मानती हैं कि बच्चे के वजन पर माता पिता के खुद के जींस का बहुत असर होता है. अगर माता पिता भारी भरकम शरीर के हैं तो बच्चा भी वजनी होता है और छोटी कद काठी वाली मां की कोख में बच्चा भी आमतौर पर छोटा और हल्का होता है. लेकिन वह मानती हैं कि अत्यधिक वजन मां की खराब जीवन शैली औऱ गर्भावस्था के समय ध्यान न रखने से होता है.
रिपोर्टः समरा फातिमा (डीपीए)
संपादनः आभा मोंढे