नवजात बच्चों में पीलिया की पहचान करेगा कम लागत वाला ऐप
५ मार्च २०२०स्मार्टफोन ऐप के जरिए यूजर सिर्फ आंखों की तस्वीरों की मदद से नवजात शिशुओं में जॉन्डिस की पहचान कर पाएगा. डॉक्टरों का कहना है कि कम लागत की वजह से बच्चों में होने वाले पीलिया का पता लगाया जा सकता है और उसका बेहतर इलाज किया जा सकता है.
जॉन्डिस लीवर से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें मरीज की त्वचा का और आंखों का रंग पीला पड़ जाता है. इस बीमारी के कारण हर साल 114,000 नवजात बच्चों की मौत होती है और 178,000 विकलांगता के मामले होते हैं. साइंस की प्लोस वन पत्रिका के मुताबिक तीन चौथाई मौतें दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में होती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया है, इस प्रोजेक्ट के मुताबिक गरीब इलाकों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए ऐप काफी मददगार साबित हो सकता है. शोध के वरिष्ठ लेखक टेरेंस लिओंग कहते हैं, "दुनिया के कई हिस्सों में दाइयां और नर्सें सिर्फ देखने पर भरोसा करती हैं, हालांकि यह विश्वसनीय नहीं है, खासकर गहरे रंग की त्वचा वाले नवजात शिशुओं के लिए.”
लिओंग कहते हैं, "स्मार्टफोन-आधारित प्रणाली अधिक मजबूत मूल्यांकन दे सकती है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि गंभीर मामले बिना ध्यान दिए नहीं जा सकते हैं. हालांकि हम इसके बड़े पैमाने पर परीक्षण के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, हमें भरोसा है कि इस प्रणाली, जिसका इस्तेमाल एक ऐप के तौर पर होगा, नवजात शिशुओं में जॉन्डिस के कारण होने वाली मौतों को रोक पाने में मदद कर पाएगा.”
कई मामलों में जॉन्डिस खतरनाक नहीं होता है लेकिन कुछ मामलों में बिलिरुबिन से निकलने वाला एक प्रकार का न्यूरोटॉक्सिक दिमाग में चला जाता है, जिससे मरीज की मौत हो जाती है या फिर वह सुनने की बीमारी से ग्रसित हो जाता है या मस्तिष्क फालिज का शिकार बन जाता है. नवजात शिशुओं का, जिनमें जॉन्डिस का शक होता है, ब्लड टेस्ट कर बीमारी का पता लगाया जा सकता है. कई बार शिशु घर आ जाता है तो उसके कई दिन बाद जॉन्डिस के लक्षण नजर आते हैं. इस ताजा शोध में 37 नवजात शिशुओं की तस्वीरें ली गई और उनका ब्लड टेस्ट कराया गया. तस्वीरों को प्रोसेस कर उन्हें और साफ किया गया, आंखों का पीलापन तय करने के लिए बिलिरूबिन के स्तर का अनुमान लगाया गया. इसके बाद अनुमान का मिलान ब्लड टेस्ट के नतीजों से किया गया. इस तरह से ऐप सही तरीके से जॉन्डिस की पहचान कर पाने में सफल रहा. यही नहीं ऐप 60 फीसदी ऐसे मामलों की पहचान करने में भी सफल रहा जिनमें इलाज की जरूरत नहीं थी.
एए/सीके (एएफपी)
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