नष्ट होने की कगार पर धरती का पर्यावरण
७ जून २०१२वैज्ञानिकों के जिस समूह ने ये दावा किया है उसमें दुनिया भर के चोटी के 22 वैज्ञानिक शामिल हैं. इनका मानना है कि इस शताब्दी के अंत तक धरती का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा. हालांकि ये दावा उस मान्यता के खिलाफ है जिसमें कहा जाता है कि धरती का पर्यावरण धीरे धीरे नष्ट हो रहा है. वैज्ञानिकों के इस समूह में तीन महाद्वीपों के जीव विज्ञानी, पर्यावरण विद और भूगर्भशास्त्री शामिल हैं. इस रिपोर्ट को 'टिकाऊ विकास' पर होने वाले 20-22 कानफ्रेंस में रियो में पढ़ा जाना है. इसका मकसद पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राथमिकताएं तैयार करना है. 'द नेचर' नाम के इस शोध में कहा गया है कि दुनिया की जनसंख्या इस सदी के अंत तक 7 अरब से बढ़कर 9 अरब से ज्यादा हो जाएगी. ग्लोबल वॉर्मिंग भी 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा उस स्थिति में 20 प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा होगा. इस अध्ययन के मुताबिक धरती के जिस हिस्से में बर्फ नहीं है उसका 43 फीसदी हिस्सा इंसान के लिए खेती और जरूरत के काम आता है. लेकिन दोहन के हालिया रुझान के मुताबिक ये 2025 तक 50 फीसदी पहुंच जाएगा जो कि पर्यावरण को अंत के नजदीक पहुंचा देगा. रिपोर्ट के मुख्य लेखक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एंथोनी बारनोस्की कहते हैं, 'आंकड़े बताते हैं कि जैव विविधता समाप्त हो जाएगी. और खेती, खाद्य पदार्थ, जंगल और साफ पानी समाप्त हो जाएगा. इसे होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. ये जल्दी होने वाला है. 'हालांकि ऐसा कब होगा इसके बारे में वैज्ञानिक निश्चित समय सीमा नहीं बता रहे हैं.
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अर्ने मूर कहते हैं, 'मानव जाति से इससे निपटने के लिए वास्तव में कुछ नहीं किया है क्योंकि ऐसी कोई संरचना ही नहीं विकसित की गई है.'
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक पर्यावरण को बचाने के लिए तय किए 90 प्रयासों में से महज 4 में ही थोडी उन्नति हुई है. 24 लक्ष्यों में न के बराबर उन्नति हुई है. संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी निदेशक अशिम स्टाइनर का कहना है, 'अब समय आ गया है कि अनिर्णय की स्थिति को दूर किया जाय, तथ्यों को स्वीकार किय जाए और मानवता के लिए एकजुट हुआ जाए.' जलवायु परिवर्तन के लिहाज से पिछला दशक सबसे गरम रहा है. साल 2010 में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन हुआ है. ऐसे में इस कान्फ्रेंस का खास महत्व है. रियो समिट में 1992 में हुए अर्थ समिट के बाद से हुई प्रगति का भी लेखा जोखा किया जाएगा. विकास के नये पैमानों पर बात की जाएगी जो अर्थव्यवस्था के विकास से अगल जीवन की गुणवत्ता के विकास पर जोर देगी.
रिपोर्टः वीडी/एएम (एएफपी)