नाजी यातना शिविर के अकाउंटेंट पर मुकदमा
२१ अप्रैल २०१५ऑस्कर ग्रोएनिंग ने 2005 में कई अखबारों को दिए गए इंटरव्यू में कहा था, "जनवरी 1943 की एक रात मैंने पहली बार देखा कि यहूदियों को किस तरह गैस चैंबर में मार डाला गया. मैंने गैस चैंबर से घबराई हुई आवाजें सुनी जब दरवाजे बंद किए गए." वह आउशवित्स यातना शिविर में सितंबर 1942 से अक्टूबर 1944 तक नाजी संगठन एस-एस के लिए काम कर रहा था. उसका काम था वहां भेजे गए बंदियों के पैसे और कीमती सामानों का हिसाब किताब रखना. इसलिए मीडिया में ऑस्कर ग्रोएनिंग को आउशवित्स का अकाउटेंट कहा जा रहा है. वह खुद को निर्दोष मानता है, "मैंने किसी को नहीं मारा है. मैं तो हत्यारी मशीन का एक पुर्जा भर था. मैं अपराधी नहीं था." यह उसने 2005 में कहा था.
हत्या में मदद का आरोप
दस साल बाद ग्रोएनिंग पर आखिरकार मुकदमा चलाया जा रहा है. 21 अप्रैल 2015 को लोवर सेक्सनी प्रांत के लुइनेबुर्ग में संभवतः जर्मनी का आखिरी नाजी मुकदमा शुरू हो रहा है. चूंकि अभियुक्त सालों से लुइनेबर्ग के एक छोटे से गांव में रह रहा है, इसलिए मुकदमा लुइनेबर्ग की अदालत में चल रहा है. ग्रोएनिंग पर कम से कम 3,00,000 मामलों में हत्या में मदद देने का आरोप है. मुकदमे के लिए हनोवर का अभियोक्ता कार्यालय जिम्मेदार है जो पूरे प्रांत में नाजी अपराधों के मामलों के लिए जिम्मेदार है. सबूतों के अभाव के कारण मुकदमा सिर्फ हंगेरियन मामलों में चलाया जा रहा है, जिसमें 16 मई से 11 जुलाई 1944 के बीच हंगरी से 4,25,000 यहूदियों को आउशवित्स डिपोर्ट किया गया था. उनमें से 3,00,000 को आते ही गैस चैंबरों में भेज दिया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
इन दो महीनों में नाजियों के हत्या के कारखाने में बंदियों को भर कर 137 रेलगाड़ियां आईं. ग्रोएनिंग उन दिनों रेल के प्लैटफार्म के लिए जिम्मेदार था और काम करने लायक और अनुपयोगियों को छांटने के दौरान मौजूद था. उसे पता था कि अनुपयोगी तय किए गए बंदियों को डिसइंफेक्ट करने के लिए नहाने के कमरों में नहीं, बल्कि सीधे मौत के मुंह में भेजा गया था. उन बंदियों के बचे हुए सामान को इकट्ठा करना एस-एस सदस्य ग्रोएनिंग का काम था. 85 पेज वाले आरोप पत्र में कहा गया है, "इसका मकसद आने वाले बंदियों के लिए नरसंहार के निशानों को मिटाना था." बक्सों में पाए गए धन को गिनना और हिसाब कर उसे बर्लिन में एस-एस को भेजना भी ग्रोएनिंग का काम था. अभियोक्ता पत्र का कहना है कि अपने काम के जरिए ग्रोएनिंग ने नाजी शासन की हत्यारी संरचना का समर्थन किया.
अंतरराष्ट्रीय आउशवित्स समिति के उपाध्यक्ष क्रिस्टॉफ हॉयबनर का कहना है कि यह मुकदमा दशकों की देरी से शुरू हो रहा है, "अभियुक्त ने अपनी जिंदगी के अहम दशक समाज के बीच शांति और आजादी में बिताए हैं." 10 जून 1921 में पैदा हुआ ग्रोएनिंग 21 वर्ष की आयु में आउशवित्स पहुंचा था. अब वह अत्यंत वृद्ध है. कुछ ही हफ्तों में 94 साल का हो जाएगा.
मुकदमे में देरी क्यों
जर्मनी में औसत जीवन दर करीब 80 साल है. इसकी वजह से भी यह सवाल उठ रहा है कि ग्रोएनिंग पर मुकदमा चलाने में इतनी देर क्यों हुई? जबकि जर्मनी में 1958 से ही नाजी अपराधों की जांच के लिए एक केंद्रीय विभाग है. एक कारण है अदालती फैसले में बदलाव. 1960 और 70 के दशक में जर्मन अदालतों में अपराधी का ठोस अपराध साबित करना पड़ता था. लेकिन जॉन डेम्यानुक के मामले में म्यूनिख की अदालत के फैसले के बाद यह बदल गया. उसे 28,000 यहूदियों की हत्या में मदद देने के लिए 2011 में 5 साल कैद की सजा दी गई, हालंकि सीधे उसका अपराध साबित नहीं हुआ था. अपीली कानूनी कार्रवाई पूरी होने से पहले ही डेम्यानुक की मौत हो गई थी.
आउशवित्स में ही 1940 से 1945 के बीच नाजी संगठन एस-एस के 7,000 लोग काम कर रहे थे. लुइनेहर्ग के मुकदमे में सह वादियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील थॉमस वाल्टर कहते हैं, "यदि मौजूदा शर्तें पहले लागू होतीं तो जर्मनी में हजारों पुरुषों और महिलाओं पर मुकदमा चलाना पड़ता, लेकिन यह इच्छित नहीं था." नाजियों को मदद देने वालों को सजा देने का इरादा नहीं था. हालांकि कानून की नजर ग्रोएनिंग पर 30 साल पहले से ही थी, लेकिन जांच को 1985 में ही सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया. जांच अधिकारियों ने उस पर भरोसा किया कि वह "हत्या में सीधे तौर पर शामिल" नहीं था, वह सिर्फ "बक्सों की निगरानी" कर रहा था.
लुइनेबर्ग की अदालत ने मुकदमे के लिए 27 दिनों का समय तय किया है. फैसला जुलाई के अंत में सुनाया जाएगा. 60 लोग मुकदमे के दौरान गवाही देंगे जो अमेरिका, हंगरी, कनाडा और इस्राएल से आ रहे हैं. सरकारी मुकदमे में वे सहवादी भी हैं. एक सहवादी बुडापेस्ट की एवा पुश्ताई हैं. उनका कहना है, "सिर्फ यह सोच कि अभियुक्त ने रोती हुई मेरी मां द्वारा भरे गए बक्से के सामान को उलटा पुल्टा और उसी दिन मारी गई मेरी बहन गीलिके के कपड़ों को हाथ में लिया मुझे मायूस कर देता है. एक बार मैं जर्मन अदालत में खड़ी होना चाहती हूं और बताना चाहती हूं कि मैंने क्या देखा."