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नाजी यातना शिविर को आजाद कराने के 70 साल

२७ जनवरी २०१५

आज नाजी यंत्रणा शिविर आउशवित्स को सोवियत संघ की लाल सेना द्वारा आजाद कराए जाने की 70वीं वर्षगांठ है. वर्षगांठ के समारोह रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बिना हो रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि उन्हें बुलाया नहीं गया.

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आउशवित्स का यातना शिविरतस्वीर: AFP/Getty Images/J. Skarzynski

70 साल पहले जब सोवियत सेना आउशवित्स में घुसी तो एक सैनिक ने 11 साल की छोटी और भूखी लड़की को बाहों में भर लिया, और उसकी आंखें छलछला रही थी. आज वह लड़की पाउला लेबोविच 81 साल की हैं. उन्हें पता नहीं कि वह सैनिक कौन था, लेकिन वह उस सैनिक और सोवियत सैनिकों के लिए आभार महसूस करती हैं, जिन्होंने 27 जनवरी 1945 को यातना शिविर को आजाद कराया था. वे इसे शर्मनाक मानती हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन मंगलवार को यातना शिविर को आजाद कराए जाने के समारोह में दूसरे यूरोपीय नेताओं के साथ मौजूद नहीं होंगे. अब अमेरिका में रहने वाली लेबोविच कहती हैं, "उन्हें वहां होना चाहिए. उन्होंने हमें आजाद कराया."

इस समय क्रेमलिन और पश्चिमी देशों के बीच यूक्रेन में रूसी कार्रवाई को लेकर तनातनी चल रही है और पश्चिम ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. आउशवित्स में हो रहे समारोह में यातना शिविरों के लिए जिम्मेदार देशों जर्मनी और ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपतियों के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद भी मौजूद होंगे. पोलेंड यह नहीं मान रहा है कि उसने पुतिन को नहीं बुलाया है. समारोह के आयोजकों ने इस बार ऐसा प्रोटोकॉल चुना है जिसमें पोलेंड के राष्ट्रपति द्वारा निमंत्रण भेजे जाने के बदले आयोजकों ने खुद दाता देशों से पूछा कि वे किसे भेज रहे हैं. पोलेंड के विदेश मंत्रालय का कहना है कि पुतिन समारोह में आ सकते थे.

Bundestag Holocaust Gedenkstunde 27.01.2015 Gauck
जर्मन संसद में स्मृति सभातस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Michael Sohn

आउशवित्स को आजाद कराने के मौके पर बर्लिन में आयोजित एक समारोह में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नाजियों के बर्बर कृत्यों की याद जिंदा रखने की अपील की. उन्होंने कहा, "आउशवित्स हमें हर रोज अपना बर्ताव मानवीय पैमाने पर करने की चुनौती देता है." यहूदियों की परिषद ने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए यातना शिविरों पर बनाए गए स्मारकों का दौरा अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय आउशवित्स समिति द्वारा आयोजित समारोह में मैर्केल ने कहा, "जर्मनी मारे गए लाखों लोगों का कर्जदार है कि उन्हें भुलाया न जाए." उन्होंने इसे शर्मनाक बताया कि आज जर्मनी में अपने को यहूदी बताने वाले या इस्राएल का समर्थन करने वाले लोगों को अपमान, धमकी और हमले का सामना करना पड़ता है. मैर्केल ने कहा कि सिनागोग या यहूदी संस्थानों पर पुलिस सुरक्षा "देश पर काले धब्बे की तरह है." जर्मन चांसलर ने कहा कि हमारे देश में हर किसी को धर्म और मूल से स्वतंत्र आजादी और सुरक्षा में रहने का हक होना चाहिए.

बर्लिन के समारोह को पोलेंड, इस्राएल और जर्मनी के युवा लोगों के अलावा, आउशवित्स यातना शिविर के पूर्व कैदियों ने भी संबोधित किया. पूर्व कैदी मारियान तुर्स्की ने मानव इतिहास की तुलना रिले रेस से की, जिसमें हर पीढ़ी पिछली पीढ़ी से रेस का डंडा लेती है. उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि हम जीवित बचे लोग अपनी विरासत और अपना अनुभव आपको दे रहे हैं, अच्छा और खराब दोनों ही." तुर्स्की ने कहा कि आज यदि किसी यहूदी, इस्राएली, मुसलमान या ईसाई का अपमान होता है, तो वह आउशवित्स फिर से शुरू होने जैसा ही है.

जर्मनी में 1996 से 27 जनवरी को 'आउशवित्स स्मारक दिवस' के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई. इस मौके पर जर्मन संसद बुंडेसटाग की स्मारक सभा होती है. इस साल सभा को राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने संबोधित किया. 1940 से 45 के बीच पोलेंड में स्थित आउशवित्स बिर्केनाउ यातना शिविर में 11लाख लोगों की जान ले ली गई थी, जिनमें से ज्यादातर यहूदी थे.

एमजे/आरआर (एपी, डीपीए)