नादिया मुराद और डेनिस मुकवेंगे को शांति का नोबेल
५ अक्टूबर २०१८नॉर्वे की नोबेल समिति ने कहा कि युद्ध और सशस्त्र संकट के दौरान यौन हिंसा को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से रोकने के लिए इन दोनों ने जो प्रयास किए हैं, उनके लिए उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा जा रहा है.
मुकवेंगे डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में यौन हिंसा की पीड़ित महिलाओं का इलाज करते हैं जबकि नादिया मुराद का संबंध इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय से है. वह खुद इराक में "इस्लामिक स्टेट" की यौन गुलाम रह चुकी हैं और अब मानवाधिकारों के लिए उठने वाली सबसे सशक्त आवाजों में से एक हैं.
डीआरसी सरकार के कटु आलोचक मुकवेंगे पूर्वी शहर बुकावु में पंजी नाम से एक अस्पताल चलाते हैं. उनके यहां हर साल ऐसी हजारों महिलाएं आती हैं, जिन्हें यौन हिंसा का निशाना बनाया गया. 1999 में स्थापित इस अस्पताल में आने वाली महिलाओं में ज्यादातर ऐसी होती हैं जिनकी सर्जरी करने की जरूरत होती है.
दूसरी तरफ, 25 साल की मुराद उन तीन हजार यजीदी लड़कियों में शामिल हैं जिन्होंने इस्लामिक स्टेट की कैद में बलात्कार और अन्य तरह का उत्पीड़न झेला है. उन्होंने दुनिया को बताया कि इराक में यजीदी महिलाओं के साथ क्या क्या हुआ.
नोबेल समिति का कहना है कि इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 216 व्यक्तिों और 115 संगठनों को नामित किया गया था, जिनमें से मुराद और मुकवेंगे को चुना गया. 10 दिसंबर को ओस्लो में स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की बरसी पर मुराद और मुकवेंगे को सम्मानित किया जाएगा.
अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार दुनिया भर में चिकित्सा, भौतिकी, रसायन शास्त्र, साहित्य और शांति के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले लोगों को यह सम्मान दिया जाता है. इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया क्योंकि इसका चुनाव करने वाली समिति एक सेक्स स्कैंडल में फंस गई.
एके/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)