नाबालिगों की शादी जायज हैः हाई कोर्ट
१२ अगस्त २०१०अदालत ने कहा, "कोई शादी धारा 5 के उल्लंघन खंड तीन में रद्द की गई शादियों की श्रेणी में नहीं आती. (इसी खंड के तहत शादी के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष तय की गई है.) और न ही यह खारिज करने योग्य शादियों की श्रेणी में आती है. इसलिए यह एक मान्य शादी होगी."
जस्टिस बीडी अहमद और वीके जैन की बेंच ने कहा कि बाल विवाह निषेध कानून में भी नाबालिगों की शादी को अमान्य घोषित नहीं किया गया है. यह कानून सिर्फ इतना कहता है कि शादी तभी खत्म हो सकती है जब नाबालिग शादीशुदा जोड़े में से कोई एक यह चाहता हो.
अदालत ने कहा, "यह साफ है कि जब पर्सनल लॉ के तहत बाल विवाह से न बचा जा सकता हो जैसा कि हिंदू मैरिज एक्ट के मामले में भी है, खासकर बाल विवाह निषेध कानून की धारा तीन के सिलसिले में, तो वहां शादीशुदा बच्चों की इच्छा पर इसे खत्म किया जा सकता है. शादीशुदा जोड़े के अलावा कोई और शादी को खत्म करने के लिए याचिका नहीं दे सकता."
अदालत ने यह फैसला एक ऐसे लड़के की याचिका पर दिया है जिसने परिवार वालों की मर्जी के बिना घर से भाग कर एक नाबालिग लड़की से शादी की. लेकिन जब 18 साल के जितेंद्र कुमार शर्मा के खिलाफ 16 साल की पूनम शर्मा के घर वालों ने आपराधिक मामला दर्ज कराया, तो उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा. पूनम के घर वालों ने जितेंद्र पर अपनी लड़की का अपहरण करने का आरोप लगाया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार