नेताओं पर हमले से तिलमिलाया जर्मनी
८ मई २०२४जर्मनी में अचानक हो रहे हमलों के बाद कई नेताओं को मामूली चोट तो कुछ को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ गई है. मंगलवार को बर्लिन की पूर्व मेयर फ्रांसिस्का गिफाय को जब निशाना बनाया गया तो वह लाइब्रेरी में थीं. हमलावर ने उनकी गर्दन पर थैले में रखे किसी कठोर चीज से हमला किया. उन्हें अस्पताल में मामूली इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई. इस मामले में पुलिस ने 74 साल के शख्स को गिरफ्तार किया गया है. अभियोजन कार्यालय ने कहा है कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के संकेत है. हालांकि इसके बावजूद नफरती हिंसा के संकेत भी मिले हैं.
जर्मन राजनीतिज्ञ पर हमले के बाद सुरक्षा बढ़ाने की मांग
पूर्व मेयर गिफाय सत्ताधारी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की नेता और बर्लिन की स्थानीय सरकार में वित्त मंत्री हैं. बर्लिन पुलिस का कहना है कि उसने एक संदिग्ध की पहचान की है, हालांकि अभी उसे हिरासत में नहीं लिया गया है. एक अन्य घटना में मंगलवार को ही ग्रीन पार्टी के एक काउंसिल उम्मीदवार पर दो लोगों ने हमला किया जब वह प्रचार के लिए पोस्टर लगा रहे थे.
हाल के दिनों में इसी तरह कई नेताओं को निशाना बनाया गया है. इसके बाद देश में गुस्सा और भय उभरने के साथ ही लोकतांत्रिक तौर तरीकों को नुकसान पहुंचने का डर भी पैदा हो गया है.
लोकतंत्र पर आंच
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने इन हमलों की निंदा की है और राजनीतिज्ञों की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाने की मांग की है. फॉन डेय लान का कहना है, "अगर ये लोग अब सुरक्षित नहीं हैं, तो हमारा लोकतंत्र भी अब सुरक्षित नहीं है." उनका यह भी कहना है "दोषियों को कानून की पूरी ताकत का अहसास होना चाहिए."
सरकार इस तरह के कानून पर विचार करने जा रही है जिससे कि राजनीतिज्ञों और चुनावी कार्यकर्ताओँ पर हमला करने वालों को कठोर सजा दी जा सके. जर्मन सरकार ने इन हमलों को सीधे तौर पर लोकतंत्र पर हमला माना है.
जर्मनी की शिक्षा व्यवस्था बीमार क्यों पड़ रही है
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने इन हमलों को "भड़काऊ और कायराना" कहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चांसलर ने लिखा है, "लोकतांत्रिक बहस में हिंसा नहीं होती. सभ्य और विवेकी लोग साफ तौर पर इसके खिलाफ खड़े हैं, और ये लोग बहुमत में हैं."
हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला कि जर्मनी के आधे से ज्यादा मेयरों को अपमानित किया गया, धमकी दी गई या फिर उनके साथ मारपीट हुई है. 37 फीसदी से ज्यादा मेयर सोशल मीडिया का आमतौर पर इस्तेमाल करने से बच रहे हैं. सबसे चिंताजनक है सर्वे में शामिल 19 फीसदी मेयरों का कहना है कि अपने या परिवार की सुरक्षा की चिंता की वजह से वह राजनीति छोड़ने पर विचार शुरू कर चुके हैं. लगभग एक तिहाई मेयरों का कहना है कि वह अब राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार पहले की तरह जाहिर नहीं करते हैं.
एक के बाद एक हुई हमले की घटनाएं
इस हफ्ते के भीतर जिन लोगों को निशाना बनाया गया उनमें ग्रीन पार्टी की इवोने मोसलर भी शामिल हैं. वह शहर में ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार कॉर्नेलियस स्टर्नकॉफ के लिए प्रचार कर रही थीं, तभी उन पर हमला हुआ. 34 साल के एक आदमी ने उनके साथ धक्कामुक्की की, उन्हें अपमानित किया और धमकी दी. उसने प्रचार के पोस्टर भी फाड़ दिए. दूसरी संदिग्ध एक 24 साल की महिला है. उसने भी मोसलर को निशाना बना कर हमला किया. मोसलर के साथ डीडब्ल्यू और फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साइटुंग के पत्रकार भी थे. पुलिस ने दोनों संदिग्धों को हमले के वक्त रोका और उनके खिलाफ जांच की जा रही है. हालांकि उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है.
शुक्रवार को ड्रेसडेन में ही सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के माथियास एके को निशाना बनाया गया. वह जब प्रचार के लिए पोस्टर लगा रहे थे तभी चार लोगों ने उन्हें बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया. चारों संदिग्ध हमलावरों की उम्र 17-18 साल है. इन चारों युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. एके को अस्पताल में भर्ती किया गया है.
नेताओं की सुरक्षा
आमतौर पर जर्मनी में नेताओं के साथ हथियारबंद पुलिस का जत्था या फिर सायरन बजाती गाड़ियों का काफिला दिखाई नहीं देता. चांसलर और इसी तरह के कुछ शीर्ष राजनेताओं को छोड़ दें तो ज्यादातर राजनेता आम लोगों की तरह ही बिना किसी सुरक्षा घेरे के रहते हैं. विशेष कार्यक्रमों में थोड़ा बहुत बंदोबस्त होता भी है, लेकिन पुलिस ज्यादातर आम लोगों की सुरक्षा में ही मुस्तैद रहती है.
यहां सड़कों पर सायरन बजाती गाड़ियां सिर्फ पुलिस, एंबुलेंस या फिर दमकल विभाग की होती हैं. मंत्रियों या नेताओं का सायरन बजाता काफिला शायद ही कभी नजर आता है. सुरक्षा में खुफिया विभाग की ज्यादा भूमिका होती है. ये लोग पर्दे के पीछे रह कर स्थिति पर नजर रखते हैं. हालांकि जिस तरह से बीते दिनों में हमलों में तेजी आई है, उसमें कुछ नेताओं को पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराने पर विचार किया जा सकता है. जर्मनी के गृह मंत्रालय ने कहा है कि वह नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. मंगलवार को गृह मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेस में कहा गया कि नेताओं को ऐसे हमलों से बचाने के लिए सभी उपाय किए जाएंगे.
उग्र दक्षिणपंथ और हिंसा
जर्मनी में इस तरह नेताओं के साथ हाथापाई या फिर उन पर हमले की घटनाएं भी हाल के वर्षों में ही नजर आईं हैं. बीते कुछ सालों में देश में उग्र दक्षिणपंथ का उभार हुआ है. धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड यानी एएफडी तो जर्मनी और यूरोप की संसद तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हो गई है. यूरोपीय संघ के चुनाव जून के महीने में होने हैं. इसके लिए प्रचार अभियान चल रहा है, इसी दौरान कई नेताओं को निशाना बनाया गया है.
इसी तरह राईषबुर्गर नाम का भी एक संगठन है, जिस पर नेताओं का अपहरण करने की योजना बनाने के आरोप लगे हैं और मुकदमा चल रहा है. यह संगठन जर्मन संविधान और सरकार को नहीं मानता. संगठन से जुड़े लोगों को संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस संगठन के समर्थकों की संख्या जर्मनी में 23,000 के करीब बताई जाती है.
आशंका जताई जा रही है कि ताजा हमलों के पीछे भी दक्षिणपंथी विचारधारा की भूमिका हो सकती है. हालांकि अब तक किसी संगठन या गुट ने इन हमलों के समर्थन में कोई बयान या ऐसी बात नहीं कही है जिसके आधार पर इन आशंकाओं को पुष्ट किया जा सके. एएफडी के शीर्ष नेतृत्व ने भी नेताओं पर हुए हमलों की निंदा की है. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले तात्कालिक मनोदशा या फिर किसी खास विचारधारा के प्रभाव में स्वतंत्र रूप से किए गए हैं, इनके पीछे किसी साजिश या फिर किसी संगठन की सीधी भूमिका नहीं है.
रिपोर्टः निखिल रंजन (डीपीए)