नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन: व्यापार या राजनीति?
८ नवम्बर २०११राजनीति और व्यापार दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें एक दूसरे से पूरी तरह अलग किया जाना संभव नहीं है. किसी बड़े प्रोजेक्ट के दौरान जब कोई देश निवेश करता है तो यह बताना आसान नहीं होता कि उसके पीछे देश की आर्थिक रुचि है या राजनैतिक. नॉर्ड स्ट्रीम नाम की पाइपलाइन का मुद्दा भी कुछ ऐसा ही है. सभी लोगों की इस पर अलग अलग राय है.
राजनीति और व्यापार
विदेशी संबंधों की जर्मन परिषद डीजीएपी के रूस के मामलों के जानकार एलेकजेंडर रार का इस बारे में कहना है, "यह राजनैतिक नहीं, व्यावसायिक प्रोजेक्ट है, जिसपर खूब राजनीति की जा रही है." वहीं डॉयचे बैंक रिसर्च के योसेफ आउएर मानते हैं कि यह दोनों का मिला जुला रूप है, "यह प्रोजेक्ट राजनैतिक भी है और व्यावसायिक भी और दोनों ही क्षेत्रों में इसका बड़ा महत्व है." रूस के राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा कोष (नईएसएफ) की अध्यक्ष कॉन्स्टानटीन सिमोनोव का कहना है कि राजनीति और व्यापार को अलग नहीं किया जा सकता, खास तौर से ऊर्जा के क्षेत्र में. सिमोनोव का कहना है कि ऐसे भी कई प्रोजेक्ट हैं जिनके आर्थिक रूप से कोई मायने नहीं हैं. पर साथ ही वह यह भी कहती हैं कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन इस तरह का प्रोजेक्ट नहीं है.
नॉर्ड स्ट्रीम के आलोचकों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट जितना व्यापार पर आधारित है उतना ही राजनीति पर भी. उनका तर्क है कि समुद्र के नीचे पाइपलाइन बिछाना जमीन पर पाइपलाइन बिछाने की तुलना में काफी ज्यादा महंगा होता है. ऐसे में इस से मुनाफा शुरू होने में कई साल लग जाएंगे. ऐसा निवेश तब ही किया जाता है जब नेताओं की इसमें कोई राजनैतिक रुचि हो.
शुरू से आलोचना
शुरुआत में रूस और जर्मनी के पड़ोसी देशों ने इस प्रोजेक्ट की काफी आलोचना की. पोलैंड को इस बात की चिंता थी कि जर्मनी रूस के साथ मिल कर उस के खिलाफ साजिश कर रहा है. वहीं स्वीडन को इस बात का डर था कि उसकी सीमा पर बनने वाले प्लेटफॉर्म को सैन्य गतिविधियों और खुफिया कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही जर्मनी में भी कुछ नेताओं को इस बात की चिंता सता रही थी कि इस पाइपलाइन के चलते जर्मनी रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर हो जाएगा और बदले में रूस जर्मनी को ब्लैकमेल कर मनचाहे दामों पर गैस बेचेगा.
इस पाइपलाइन के बनने में पूर्व जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर का बड़ा हाथ रहा है. उन्होंने ही सभी बाल्टिक देशों को इस काम के लिए मनाया. एलेकजेंडर रार का इस बारे में कहना है, "मेरे ख्याल से उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि वह स्वीडन और डेनमार्क को मानाने में कामयाब हो पाए."
जर्मन नहीं यूरोपीय प्रोजेक्ट
यूरोपीय संघ के ऊर्जा आयुक्त गुएंटर ओएटिंगर ने 2006 में इसे यूरोप के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट करार दिया. इसने निवेशकों का ध्यान नॉर्ड स्ट्रीम की ओर खींचा. ओएटिंगर का कहना है, "नॉर्ड स्ट्रीम लम्बे समय से यूरोप के इन्फ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा बन चुका है." रूस के मामलों की जानकार सिमिनोव का कहना है कि जर्मनी और रूस के साझेदारों की इस प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की कार्यनीति को राजनैतिक तौर पर सबसे बड़ी सफलता के रूप में देखा जा सकता है, "नॉर्ड स्ट्रीम प्रोजेक्ट ना ही रूसी है और ना ही रूसी-जर्मन. जब से हौलैंड और फ्रांस की कंपनियों ने इसमें निवेश करना शुरू किया है, यह यूरोपीय प्रोजेक्ट बन गया है." जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल इसे 'यूरोपीय-रूसी' प्रोजेक्ट के नाम से पुकारती हैं. उनका कहना है, "यह दोनों के लिए फायदे का सौदा है. यूरोप इस से गैस की सप्लाई सुनिश्चित कर सकता है और रूस को यूरोप के रूप में गैस का खरीद मिल गया है."
रिपोर्ट: एंड्रयू गुरकोव/ मार्कियन ओस्टाप्टशुक/ ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे