पत्थरबाजों के निशाने पर क्यों है वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन
२२ मार्च २०१९नई दिल्ली से वाराणसी तक चलने वाली देश में बनी पहली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की सुरक्षा को लेकर रेलवे के साथ-साथ प्रशासन भी चिंतित है. ट्रेन को पटरी पर दौड़ते हुए अभी कोई एक महीना ही हुआ है लेकिन अब तक वो करीब दर्जन भर बार पत्थरबाजों के निशाने पर आ चुकी है.
ट्रेन के रास्ते में जगह-जगह और बार-बार होने वाले पथराव के चलते सुरक्षा को लेकर रेलवे ने कई कदम भी उठाए हैं. कानपुर परिक्षेत्र में अब यह ट्रेन पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ की निगरानी में गुजरेगी. रेलवे ने यह फैसला पिछले दिनों कानपुर और फतेहपुर के बीच ट्रेन पर हुए पथराव के बाद लिया जिसमें इस ट्रेन की आठ बोगियों के कई शीशे क्षतिग्रस्त हो गए. इस घटना में पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार भी किया है.
कब क्या हुआ
दरअसल, बीते रविवार नई दिल्ली से वाराणसी जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर कुछ लोगों ने अचानक कानपुर से आगे बढ़ते ही अचानक पथराव करना शुरू कर दिया. ट्रेन के चालक दल की ओर से वाराणसी जीआरपी में मुकदमा दर्ज कराया गया था. लेकिन इस घटना के बाद से आरपीएफ, जीआरपी समेत स्थानीय पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे.
वंदे भारत ट्रेन पर पथराव की यह पहली घटना नहीं थी. इससे पहले भी इटावा और फतेहपुर के खागा में भी पत्थरबाजों के निशाने पर ये ट्रेन आई थी. 15 मार्च को वाराणसी से दिल्ली जा रही वंदेभारत एक्सप्रेस पर इटावा के पास कुछ लोगों ने पत्थर फेंके जिससे दो कोच के शीशे टूट गए. पथराव से यात्री भी डर गए थे.
इससे पहले 11 मार्च को भी ट्रेन पर पथराव हुआ. यही नहीं, इस महत्वाकांक्षी ट्रेन के ट्रायल रन के दौरान ही इसे पत्थरबाजों के हमले का सामना करना पड़ा था. दो फरवरी को ट्रायर के दौरान ट्रेन जैसे ही दिल्ली में शकूरबस्ती वर्कशाप से आगे बढ़ी थी, उस पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके थे जिससे ट्रेन को काफी नुकसान हुआ था. उससे पहले पिछले साल बीस दिसंबर को इसके पहले ट्रायल रन के दौरान भी पथराव हुआ था.
पथराव के दौरान अब तक किसी यात्री को चोट पहुंचने की खबर नहीं है लेकिन इतनी हाईप्रोफाइल ट्रेन पर लगातार हो रही पत्थरबाजी की घटना और ट्रेन को हो रहे नुकसान के बावजूद इस पर लगाम न लग पाना कई सवाल खड़ा कर रहा है.
इसी ट्रेन पर निशाना क्यों
रेलवे के अधिकारी भी ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर सिर्फ इसी ट्रेन को क्यों निशाना बनाया जा रहा है. उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिल्ली-कानपुर-वाराणसी रूट पर हर रोज तीन सौ से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं. ऐसे में यदि लोग इसी ट्रेन पर पत्थर फेंक रहे हैं तो कोई न कोई वजह तो होगी ही.
फतेहपुर के जीआरपी प्रभारी आरपी सरोज कहते हैं, "चंदन नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है. ज्यादातर मामलों में नाबालिग लड़के ही सामने आए हैं. ये पता करने की कोशिश होगी कि आखिर ये शरारतवश पत्थर फेंक रहे हैं या फिर इन्हें ऐसा करने के लिए कहीं से प्रेरित किया जा रहा है.”
दरअसल, इस ट्रेन को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत आशान्वित थे और ये उनके ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में थी. इस ट्रेन के लेट होने और इसकी कुछ खामियां गिनाने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसे लोगों की यह कहते हुए निंदा की थी जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो देश के इंजीनियरों का अपमान कर रहे हैं. इसकी वजह ये थी कि इस ट्रेन को पूरी तरह से भारत में ही और भारतीय तकनीक से ही बनाया गया है.
इसके पीछे किसका हाथ
अब तक इस ट्रेन पर जहां भी पत्थरबाजी हुई है वो ग्रामीण और सुनसान इलाकों में हुआ है. पत्थरबाजी करने वालों में ज्यादातर वहीं के स्थानीय लड़के रहे हैं जिन्हें पुलिस ने पकड़ा लेकिन बिना किसी सबूत के छोड़ दिया. पुलिस अब तक इसके पीछे कोई ठोस वजह भी नहीं ढूंढ़ पाई है और न ही किसी मुख्य अभियुक्त को.
कानपुर के स्थानीय पत्रकार प्रवीण मोहता कहते हैं, "लगातार पत्थरबाजी से ये तो तय है कि कहीं न कहीं से समर्थन मिल रहा है. दरअसल, यहां कुछ लोगों से बातचीत में ये पता चला है कि इसके पीछे राजनीतिक विद्वेष भी हो सकता है. प्रधानमंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है तो कुछ लोग किसी भी कीमत पर इस प्रोजेक्ट की असफलता देखना चाहते हैं. ऐसे में यदि कुछ बच्चों को सौ-पचास रुपये देकर ट्रेन में पत्थर फेंकने को कहा जा रहा हो तो इसमें आश्चर्य नहीं.”
हालांकि ऐसा करके किसका राजनीतिक हित सधेगा, ये कहना भी मुश्किल है. इस ड्रीम प्रोजेक्ट की असफलता ट्रेन पर पत्थर फेंककर तो साबित की नहीं जा सकती है, ये सब को पता है. इसके लिए तो ट्रेन की लेट-लतीफी और इसके भीतर तकनीकी खामियों को ही गिनाया जा सकता है और गिनाया जा भी रहा है. ट्रेन पर पत्थरबाजी करके तो उसे यानी सार्वजनिक संपत्ति को ही नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
बहरहाल, रेलवे प्रशासन ने ट्रेन की हिफाजत के लिए उसके पूरे रास्ते पर एक सुरक्षा तंत्र विकसित करने का फैसला किया है. लेकिन जिस तरीके से अब तक इस ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई है, उसे देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि इतनी सुरक्षा के बावजूद वो पत्थरबाजों से कितनी बची रह पाएगी. वहीं पुलिस के सामने ट्रेन की सुरक्षा के अलावा पत्थरबाजों की तलाश और उनके मकसद तक पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.