परमाणु मुद्दे पर चुप चीन और पाकिस्तान
७ जुलाई २०१०अपनी छह दिवसीय चीन यात्रा के दूसरे दिन जरदारी ने चीन की कंपनियों से अपील की है कि वे पाकिस्तान के खस्ताहाल ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करें और परमाणु, पनबिजली, और वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन के लिए पाकिस्तान की सहायता करें.
असोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान ने लिखा है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में कोई बातचीत नहीं की है. चश्मा में चीन की सहायता से बनने वाले दो नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर भारत अमेरिका सहित कई देशों ने आपत्ति जताई है.
लेकिन जरदारी ने साफ किया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र की बेहतरी के लिए वे चीन का सहयोग चाहते हैं. राष्ट्रपति के प्रवक्ता फराहतुल्ला बाबर के हवाले से पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी एपीपी ने लिखा है, "पाकिस्तान में बिजली की बहुत कमी है.इसलिए अगले पच्चीस साल में वह पनबिजली, कोयले से, गैस से, परमाणु और फिर से उपयोग की जा सकने वाले ऊर्जा स्त्रोतों से हज़ारो मैगावॉट और बिजली पैदा करना चाहता है."
चीन के थ्री जॉर्जेस कॉर्पोरेशन के एक अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी पाकिस्तान में पनबिजली और पवन ऊर्जा के प्रोजेक्ट शुरू करने पर राज़ी हो गया है. इस मुलाकात के बारे में जारी रिपोर्ट में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में कहीं भी बात नहीं की गई है. ऐसा जान पड़ता है कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही ज़रदारी की यात्रा के दौरान चश्मा के नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में कुछ नहीं कहना चाहते.
चीन का कहना है कि पाकिस्तान के साथ परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट शुरू करना उसका अधिकार है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चश्मा में एक परमाणु कॉम्प्लेक्स बना चुका है एक और बना रहा है जो कि अगले साल या दो हज़ार बारह तक पूरा हो जाएगा.
आने वाले समय में चीन चश्मा में दो और परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाना चाहता है जिस पर भारत और अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आपत्ति रही है. कई देशों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु सहयोग परमाणु अप्रसार संधि के नियमों के विरुद्ध है.
रिपोर्टः एजेसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़