परमाणु विनाश से बस एक गलती दूर है दुनिया
२ अगस्त २०२२नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी ऑफ न्यूक्लियर वेपंस यानी एनपीटी की 10 वीं समीक्षा बैठक सोमवार को यूक्रेन में शुरू हुई. संयुक्त राष्ट्र एनपीटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मील का पत्थर मानता है जो परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है. हर पांच साल पर इसकी समीक्षा की जाती है. फिलहाल जो बैठक शुरू हुई है वह 2020 में होनी थी लेकिन कोरोना वायरस की महामारी की वजह से इसे तब टाल दिया गया.
यूक्रेन युद्ध का असर
बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब एक तरफ यूक्रेन पर रूसी हमला छठे महीने में चला गया है तो दूसरी तरफ तमाम कोशिशों के बाद भी पश्चिमी देशों के साथ ईरान का परमाणु करार अब तक दोबारा परवान नहीं चढ़ सका है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने रूस पर आरोप लगाया है कि वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दूसरे देशों को दबाने में कर रहा है. ब्लिंकेन का यह भी कहना है कि दुनिया में, "ताकत, डराने धमकाने या ब्लैकमेल के आधार पर परमाणु हथियारों से छुटकारा पाने" के लिए कोई जगह नहीं है. ब्लिंकेन ने कहा, "इसे खारिज करने के लिए हमें साथ खड़ा होना होगा."
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यूक्रेन के उप विदेश मंत्री मिकोला टॉचित्स्की ने रूस की यूक्रेन के साथ युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से परमाणु हथियारों की धमकी देने के लिए कड़ी आलोचना की. टॉचित्स्की ने कहा, "दुनिया देख रही है कि परमाणु हथियारों वाले देशों का प्रायोजित कैसे परमाणु आतंकवाद के रूप में सच हो रहा है." यूक्रेनी विदेश मंत्री ने इसके खिलाफ देशों को एकजुट हो कर कड़ी कार्रवाई करने और यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों के ऊपर हवाई मार्ग को बंद करने की मांग की जिससे कि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके. उन्होंने रूस के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की जिससे यह साबित हो जाए कि परमाणु हथियार रखने भर से वह यूक्रेन के खिलाफ हमले की सजा से बच नहीं सकता.
दुनिया के सामने संकट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने इस मौके पर कहा कि जलवायु संकट, असमानता, दुनिया भर में हिंसक संघर्ष और कोविड-19 की महामारी ने दुनिया को भारी तनाव में डाल दिया है. गुटेरेश का कहना है, "इस वक्त जितना परमाणु खतरा है उतना शीत युद्ध के चरम के बाद कभी नहीं रहा." गुटेरेश ने चेतावनी देते हुए कहा कि एशिया, मध्यपूर्व और दूसरे तनावों में परमाणु युद्ध का खतरा है, "मानवता परमाणु विनाश से बस एक गलतफहमी, एक गलत आकलन भर दूर है."
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने भी रूस और उत्तर कोरिया की धमकियों में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए आलोचना की. साथ ही परमाणु कार्यक्रम के विस्तार के लिए ईरान को भी निशाने पर रखा. परमाणु निरस्त्रीकरण की मांग करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले ने परमाणु हथियारों की सच्चाई को केंद्र में ला दिया है.
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सम्मेलन के लिए एक अभिवादन पत्र भेजा है क्योंकि वो इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. पुतिन ने अपने बयान में कहा है, "हम मानते हैं कि परमाणु युद्ध में कोई विजेता नहीं हो सकता और इसलिए किसी को भी इसे शुरू करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए." इसके साथ ही पुतिन ने यह भरोसा दिया है कि रूस एनपीटी के संस्थापक देशों के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेगा.
रुस के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की आशंका तब से ज्यादा हो गई है जब उसने यूक्रेन पर हमला करने के तुरंत बाद ही रूसी परमाणु बल को हाई अलर्ट पर डाल दिया.
ठप्प है परमाणु निरस्त्रीकरण
दुनिया में फिलहाल 13,000 से ज्यादा परमाणु हथियार मौजूद हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के पहले से ही परमाणु निरस्त्रीकरण की कोशिशें ठप्प हैं.
नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी 1970 से ही लागू है और यह हथियारों के नियंत्रण के लिए काम करता है. फिलहाल दुनिया के 191 देश इसके सदस्य हैं. ट्रीटी के प्रावधानों के मुताबिक परमाणु हथियारों से लैस पांच देशों ने किसी वक्त अपने सारे हथियारों को खत्म करने की बात पर सहमति जताई. ये पांचों देश हैं अमेरिका, चीन, रूस (तब सोवियत संघ), ब्रिटेन और फ्रांस. इसके साथ ही जिीन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं थे उन्होंने वादा किया कि वो इसे हासिल नहीं करेंगे इसके बदले में उन्हें शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा हासिल करने में तकनीकी मदद देने का भरोसा दिया गया.
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भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किये थे और उन्होंने बम बनाये. इसी तरह उत्तर कोरिया ने पहले तो इस पर दस्तखत कर दिये लेकिन बाद में वह इससे बाहर निकल गया. एनपीटी पर इस्राएल ने भी दस्तखत नहीं किये हैं और माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार भी हैं लेकिन वह ना तो इसे मानता है ना ही खारिज करता है.
एनपीटी की यह समीक्षा बैठक 26 अगस्त तक चलेगी और इसका मकसद है अगले कदमों के लिए सहमति जुटाना. हालांकि कुछ बड़े कदमों पर सहमति हो सकेगी इसकी उम्मीद बहुत कम है.
एनआर/आरपी (डीपीए, एपी)