परमाणु साइट बना रहा है म्यांमार: विकीलीक्स
११ दिसम्बर २०१०खबर के मुताबिक म्यांमार में अमेरिकी दूतावास ने एक संदेश भेजा जिसमें म्यांमार के एक अफसर की बात का हवाला दिया गया. इस अफसर ने कहा कि उसने उत्तर कोरियाई तकनीशियनों को रंगून से 480 किलोमीटर दूर एक भूमिगत संयंत्र तैयार करने में मदद करते देखा.
गोपनीय संदेश में कहा गया, "म्यांमार के कामगारों के साथ मिलकर उत्तर कोरियाई कंक्रीट का एक भूमिगत भवन बना रहे हैं जो एक पहाड़ की चोटी के 500 फुट नीचे बनाया जा रहा है." अमेरिकी दूतावास ने अपने संदेश में कहा कि काम अभी शुरुआती दौर में है और इसमें काफी मुश्किलें आ रही हैं. लेकिन अमेरिका ने इस घटना को एक बड़ी होती मुश्किल माना और कहा कि परमाणु बम बनाने के मामले में बर्मा भी पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और ईरान के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.
यह संदेश अगस्त 2004 में भेजा गया. इसका शीर्षक दिया गया - बर्मा में मिसाइल संयोजन और भूमिगत सुविधाएं बनाने में उत्तर कोरिया की संदिग्ध भूमिका. इस संदेश में जिस अफसर का हवाला दिया गया वह इंजीनियरिंग इकाई में काम कर रहा था. उसका कहना था कि जहां वह काम कर रहा था वहां जमीन से हवा में मार करने वालीं मिसाइलें जोड़ी जा रही थीं.
यह जगह पश्चिमी मध्य म्यांमार में मिनबू कस्बे में है जो इरावाडी नदी के किनारे बसा है. अफसर ने बताया कि इस जगह पर 300 उत्तर कोरियाई लोग काम कर रहे हैं. हालांकि अमेरिकी दूतावास ने जो संदेश वॉशिंगटन को भेजा उसमें इस संख्या के सही होने पर संदेह जताया गया.
दूतावास के संदेश के मुताबिक म्यांमार के अफसर का दावा था कि उसने उत्तर कोरियाई लोगों को देखा. हालांकि वह यह भी कह रहा था कि उन्हें जगह छोड़ने की या किसी और को उस जगह जाने की इजाजत नहीं है. पिछले साल फरवरी में म्यांमार के उप विदेश मंत्री खिन माउंग विन ने अमेरिकी राजनयिकों को बताया था मिसाइल या परमाणु तकनीक को लेकर उत्तर कोरिया के साथ उनके देश का कोई सहयोग नहीं हो रहा है.
ऐसी भी खबरें हैं कि रंगून में अमेरिकी दूतावास को किसी व्यापारी ने यूरोनियम बेचने की पेशकश की. दूतावास ने इसे खरीद लिया. संदेश में कहा गया कि एक व्यक्ति के पास चमकते पाउडर की आधी भरी छोटी सी बोतल थी. साथ ही उसके पास चीन की एक यूनिवर्सिटी का 1992 में जारी किया सर्टिफिकेट था जो इस पाउडर को रेडियोएक्टिव बता रहा था.
संदेश के मुताबिक व्यापारी ने कहा कि अगर अमेरिका इसे नहीं खरीदेगा तो वह अन्य देशों को इसे बेचने की कोशिश करेगा, जिसकी शुरुआत थाईलैंड से होगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार