पाक के कहने पर चीन ने डाला अंडगा
६ दिसम्बर २०१०अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के हस्ताक्षर वाले इस राजनयिक संदेश के मुताबिक जमात उद दावा अब भी अपनी गतिविधियां चला रहा है और उनके लिए धन भी जुटा रहा है. यह साफ नहीं है कि पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों पर अमल करने के लिए इसकी संपत्ति को सील करने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
10 अगस्त 2009 की तारीख वाले इस राजनयिक संदेश के मुताबिक मुंबई हमलों से पहले हाफिज सईद को प्रतिबंधित लोगों की सूची में शामिल करने की अमेरिकी मांग को टाल दिया गया. क्लिंटन की तरफ से इस्लामाबाद के अमेरिकी दूतावास और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी अमेरिकी मिशन को भेजे गए इस संदेश में कहा गया है, "मुंबई हमलों से पहले जेयूडी (जमात उद दावा) और (हाफिज मोहम्मद) सईद को प्रतिबंधित करने की हमारी मांग को चीन ने पाकिस्तान के कहने पर ठंडे बस्ते में डलवा दिया."
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन के पास वीटो पावर है और 15 सदस्यों वाली परिषद में चीन की सहमति के बिना कुछ भी पारित नहीं हो सकता. क्लिंटन ने इस संदेश में अपने राजनयिकों को अल कायदा और तालिबान प्रतिबंध कमेटी की तरफ से जमात उद दावा और सईद को प्रतिबंधित सूची से हटाने के आग्रह या आवेदन पर वीटो करने के फैसले की भी जानकारी दी है.
जमात उद दावा और सईद के कानूनी प्रतिनिधियों ने अपनी याचिका में कहा, "जमात उद दावा या फिर सईद को प्रतिबंधित सूची में रखने का कोई आधार नहीं है और जिस सामग्री के आधार पर ऐसी बातें हो रही हैं, वह गलत और निराधार है. हम जानते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद दावा के कई बड़े नेता दोनों संगठनों से जुड़े हैं जिनमें हाफिज सईद भी शामिल हैं. सईद संयुक्त राष्ट्र को मिली जानकारी के मुताबिक 2009 तक लश्कर-ए-तैयबा को नियंत्रित करते हैं और इसके सदस्यों को निर्देश देते हैं."
मुंबई हमलों के बाद जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगा दिया गया. उसके मुखिया हाफिज सईद को भी महीनों तक नजरबंद रखा गया. लेकिन अदालती आदेश के बाद सईद को रिहा कर दिया गया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़